सरकारी चिकित्सकों के प्राइवेट प्रैक्टिस करने का मामले को लेकर किसान मंच के सदस्यों ने मंगलवार को सदर अस्पताल के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया ।इस दौरान 10 सूत्री मांगों को लेकर सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष आवाज बुलंद की गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसान मंच के गिरिडीह जिला अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह अधिवक्ता ने कहा कि पैसा कमाने के होड़ में सिविल सर्जन इतना व्यस्त हो गए कि विगत 21 दिसम्बर को सैकड़ों गरीब किसानों द्वारा किए गए दर्द भरी फरियाद को इन्होंने अनसुना कर दिया। आर्थिक रूप से कमजोर हमारे जैसे लोग सदर अस्पताल आकर अपना इलाज कराने हेतु 10/- रुपैया का भुगतान कर अपना पर्ची तो कटा लेता है पर अस्पताल में इलाज नहीं करा पाता है।इलाज कराने के लिए अस्पताल में पदस्थापित डॉक्टर के प्राइवेट क्लीनिक में जाना पड़ता है जहां 10/- रुपैया के जगह 1100/- रुपैया का भुगतान करना पड़ता है। बार बार गरीब मरीज के पास पैसा कहां से आएगा । सिविल सर्जन अगर यह सोचते हैं कि एक दो बार फरियाद करने के बाद किसान चुप हो जाएगा तो यह सिविल सर्जन साहब का गलतफहमी है। जब तक किसान मंच का 10 सूत्री मांगों पर अमल नहीं होगा तब तक किसान मंच का अनुरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
किसान मंच के संरक्षक अजित कुमार सिन्हा ने कहा कि सदर अस्पताल व सरकारी अस्पताल में बड़ा आशा लेकर गरीब मरीज अपना इलाज कराने आता है और गरीब मरीज के उस आशा पर सिविल सर्जन पानी फेर दे रहे हैं।जिसे किसान मंच कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। किसान मंच के जिला उपाध्यक्ष ज्योति सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य के स्थापना के 21 वर्ष बाद भी गरीब किसानों मजदूरों का इलाज सरकारी अस्पतालों में नहीं हो पा रहा है। सिविल सर्जन साहब अगर गरीब किसान मजदूर के पीड़ा को नहीं सुनेंगे तो किसान मंच सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष इतनी बार अनुरोध प्रदर्शन करेगा कि रांची में बैठे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के कानों में मरीजों के दर्द और पीड़ा की कराह गूंजने लगेगी।इस अनुरोध प्रदर्शन कार्यक्रम में जिला कार्यकारी अध्यक्ष जोगेश्वर ठाकुर, जिला उपाध्यक्ष ज्योति सोरेन, संरक्षक अजित कुमार सिन्हा, संयोजक छोटेलाल मरांडी, बासुदेव सिंह, सरजू हांसदा, बासुदेव मरांडी, असलम अंसारी, शक्तिमान सिंह, नबी अंसारी, हेमलाल सिंह, अख्तर खान, कीरत राय मंटू चंद्रवंशी,श्यामू बस्के, निर्मला देवी, सहित सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित रहे।