डीसी को आवेदन देकर समसान घाट की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाने की मांग की
रिपोर्ट:-विकास सिन्हा
गावां प्रखंड के सेरूआ पंचायत में मनरेगा योजना सरकारी राशि की लूट के साथ साथ बिचौलियों के लिए सरकारी जमीन को अतिक्रमण करने का भी एक नया साधन बन गया है। यहां मनरेगा के बिचौलियों ने पंचायत सेवक, मुखिया, रोजगार सेवक की मिलीभगत से मनरेगा के तहत टीसीबी योजना को समसान की भूमि पर बना कर उसे अतिक्रमण करने का प्रयास किया गया है। मामला सेरूआ के सिमरापताल का है। यहां जब लोगों को समसान घाट की जमीन पर मनरेगा से टीसीबी बनने की जानकारी हुई तो सेरूआ मुसहरी टोला से दर्जनों की संख्या में महिला व पुरूष मौके पर पहूंचे और जमकर विरोध किया।
विरोध कर रहे सेरूआ मुसहरी टोला के ग्रामीणों का कहना है कि सिमरापताल के इस गैरमजुरवा जमीन का उपयोग समसान घाट के रूप में सदियों से हो रहा है। छोटे बच्चे और नाबालिक की मौत पर उसकी लाश को हिन्दु समुदाय के लोग इसी जमीन पर दफन करते हैं। लेकिन कुछ लोगों द्वारा इस जमीन पर मनरेगा से कभी डोभा, तो कभी टीसीबी बनाकर इसका अतिक्रमण करने का प्रयास किया जा रहा है। पूर्व में जब यहां मनरेगा से दो डोभा का निर्माण हुआ था, तो ग्रामीणों ने मुखिया से मिलकर विरोध दर्ज करवाया था। उस वक्त मुखिया ने ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए कहा था कि उक्त समसान भूमि पर अब कभी भी मनरेगा योजना से कोई काम नहीं होगा। साथ मनरेगा से खुद चुके डोभा को भी भरवाकर जमीन को समतल कर दिया जाएगा। परंतु इस बार पुन: यहां टीसीबी बनाकर समसान भूमि का अतिक्रमण किया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि इस मामले की लिखित शिकायत गिरिडीह उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा को देकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जाएगी। अगर अविलंब समसान भूमि पर मनरेगा से बने डोभा और टीसीबी को भरवाया नहीं गया, तो ग्रामीण उग्र आंदोलन को बाध्य होगें।
समसान भूमि के अतिक्रमण का विरोध करने वालों में कमला देवी, चंद्रिका देवी, उमेश रविदास, शक्ति रविदास, कारू रविदास, रघु रविदास, गिरजा देवी, शांति देवी, भगिया देवी, मुनिया देवी समेत दर्जनों ग्रामीणों का नाम शामिल है।
इधर, प्रधान प्रतिनिधि भीम रविदास ने कहा कि निर्माण किए टीसीबी को जल्द ही भरवा दिया जाएगा।
इस संबंध प्रभारी बीडीओ संतोष प्रजापति ने कहा कि जांच कर दोषियों पर नियम संगत कार्रवाई किया जाएगा।