रिपोर्ट – आनन्द बरनवाल
प्लेस – तीसरी, गिरिडीह
गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान के ग्रामीण और जानवर एक ही गड्ढे से पानी पीने को हैं मजबूर
गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव एक ऐसा गांव है जो झारखंड के सबसे पिछड़े गांव में से एक है। यह गांव हर मामले में पिछड़ा हुआ है। यहां ना कोई स्कूल है, ना रास्ता है, ना ही पानी पीने के लिए कोई चापानल व कुआं है। ग्रामीण गढ्ढे के पानी सदियों से पीने को मजबूर हैं। एक ही गड्ढे के पानी यहां पर जानवर और ग्रामीण पीते हैं। तिसरी प्रखंड से लगातार डायरिया के मामले आ रहे हैं बावजूद सरकार सुदूरवर्ती गांवों तक स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने में असफल है। इस गांव के पिछड़ेपन व बेबसी के सामने जनप्रतिनिधि भी हाथ जोड़ रहे हैं। स्थानीय मुखिया कहते हैं म यहां पर ना ही कुआं बनवा पाए हैं और न ही चापानल। क्योंकि मैट्रियल पहुंचाने के लिए रास्ता ही नहीं है। स्थानीय जनप्रतिनिधि चुनाव के समय बहुत सारे दावे व वादे करते हैं लेकिन आज तक किसी ने भी यहाँ की आवश्यकताओं की तरफ ध्यान नहीं दिया। आजादी के बाद से इस गांव में अभी तक ना कोई स्कूल बना है, ना रास्ता बना है और ना ही पीने के लिए स्वच्छ पेयजल के लिए चापानल व कुआं बनवाया गया है। ग्रामीण गड्ढे के पानी पीने को मजबूर हैं। आजाद भारत में एक नागरिक की इससे बड़ी बेबसी और क्या हो सकती है। बताया जाता है कि लक्ष्मीबथान गांव में लगभग 30 घर हैं जिसकी आबादी 500 से अधिक है। इतनी बड़ी आबादी तमाम मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं. आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि अभी तक इस गांव में स्वच्छ पानी पीने के लिए कुआं व चापाकल तक नहीं मुहैया कराया गया है तो सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य की कल्पना ही नहीं कर सकते हैं.