सरहुल उराँव नामक आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह त्योहार कृषि आरंभ करने का त्योहार है। इस त्योहार को ‘सरना’ के सम्मान में मनाया जाता है। सरना वह पवित्र कुंज है, जिसमें कुछ शालवृक्ष होते हैं। यह पूजन-स्थान का कार्य करता है। निश्चित दिन गाँव का पुरोहित, जिसे पाहन कहते हैं, सरना-पूजन करता है। इस अवसर पर मुर्गे की बलि दी जाती है तथा हँड़िया (चावल से बनाया गया मद्य) का अर्घ्य दिया जाता है।