लोक आस्था का महापर्व चैती छठ के तीसरे दिन भगवान भुवन भास्कर को अब कुछ ही घंटो में अर्घ्य अर्पण किया जाएगा। इस क्रम में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्गाघाट समेत कई घाटों में श्रद्धालु नमन करेगे। बताया गया कि यह चार दिवसीय महा अनुष्ठान है ,जिसमें पहले दिन नहाए खाए। दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ अर्पण और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध अर्पण किया जाता है।शास्त्रों के अनुसार छठी माता भगवान सूर्य की मानस बहन हैं। इसलिए छठ के व्रत में छठी मईया और सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है। यह व्रत महिलाओं के द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। मान्यता के अनुसार छठी मईया संतान की रक्षा करती हैं। सूर्यदेव की उपासना से आरोग्यता प्राप्त होती है। छठ पूजा में भगवान सूर्य देव की पूजा का विधान है। संध्या अर्घ्य के दिन भगवान सूर्य को अस्त होते हुए अर्घ्य दिया जाता है। वहीं, अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चैती छठ को लेकर हर ओर आस्था का सैलाब है।सभी छठ घाटों में अर्घ्य दान के लिए साफ सफाई और सजावट भी पूरी हो चुकी है।