जिले के चौपारण प्रखंड का दुरागड़ा एक ऐसा गांव है जहां के बच्चे अपना भविष्य गढ़ने के लिए काफी संघर्ष कर रहे हैं. आलम यह है कि बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. दुरागढ़ा गांव में एक मात्र मीडिल स्कूल है, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. बच्चे क्लास में बैठने से डरते हैं. यही वजह है कि यहां के बच्चे नजदीक में स्थिति एक पेड़ के नीचे पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल की बिल्डिंग पिछले 7 वर्षो से जर्जर अवस्था में है. बिल्डिंग की छत में जगह-जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. वहीं एक कमरे की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. स्कूल के अंदर जाने से खतरा की संभावना को देखते हुए शिक्षकों ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया है। प्रधानाध्यापक मो समदानी ने बताया कि विद्यालय की समस्या को लेकर लगातार विभाग को अवगत करवा रहा हूं. इसके बावजूद कोई समस्या समाधान नहीं हो रहा है