जगन्नाथ पूरी का नाम तो आप सभी ने सुना होगा लेकिन क्या आपको ये पता है की यह मंदिर रहस्यों और चमत्कारों से भरा पड़ा है। इस मंदिर में ऐसे कई राज है जो प्राचीन काल से लेकर आज तक अनसुलझे है। तो आइये आज जानते है उन्ही रहस्यों के बारे में।
जगन्नाथ मंदिर को 11 वीं शताब्दी में राजा इंद्रद्युम्न द्वारा बनाया गया था। मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग किया और उनका अंतिम संस्कार किया गया तो शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गई. मान्यता है कि भगवान कृष्ण का हृदय एक जिंदा इंसान की तरह ही धड़कता रहा. कहते हैं कि वो दिल आज भी सुरक्षित है और वह जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर है।
इस मंदिर में श्री कृष्णा के साथ साथ भाई बलराम और बहन सुभद्रा ही काठ की मूर्ति है और यह मूर्ति 12 साल में एक बार बदली जाती है मूर्ति बदलने की क्रिया से बड़ी ही रोचक बात जुडी है। कहा जाता है की जब भगवान् जगन्नाथ की मूर्ति बदली जाती है तो उस समय पुरे शहर की बिजली काट दी जाती है। पुलिस मंदिर को चारो और से घेर लेते है और मंदिर पूरी तरह खाली करा दी जाती है। उस समय मंदिर में सभी का प्रवेश वर्जित होता है। उस मंदिर में सिर्फ वही पुजारी का प्रवेश होता है जिसे वो मूर्तियां बदलनी होती है। उस पुजारी के आँखों में पट्टी बाँधी जाती है हाथ में ग्लव्स पहनाए जाते हैं। इसके बाद मूर्तियां बदलने की प्रक्रिया शुरू होती है। पुराणी मूर्ति की जगह नयी मूर्ति लगायी जाती है लेकिन एक चीज है जो वहां कभी नहीं बदलती, वह है उस मूर्ति का ब्रह्म पदार्थ।
आखिर क्या है यह ब्रह्म पदार्थ ??
ब्रह्म पदार्थ क्या है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। वहां के पुजारियों को भी नहीं पता होता की मूर्ति के अंदर है क्या। पुजारियों के अनुसार जब उस ब्रह्म पदार्थ को हाथों में लेकर पुराणी मूर्ति से नयी मूर्ति में डाला जाता है तो उन्हें लगता है की जैसे कुछ हाथों में उछल रहा हो, कुछ ऐसी चीज जिसमें जान हो लेकिन उनके हाथों में ग्लव्स होने की वजह से अनुमान लगाना मुश्किल होता है, की यह क्या है।
जगन्नाथ पूरी मंदिर समुन्द्र के किनारे है मंदिर के अंदर एक सिंघद्वार है कहा जाता है की जब तक सिंघद्वार के अंदर कदम नहीं रखा जाता, तब तक समुन्द्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है, लेकिन जैसे की एक कदम अंदर जाता है लहरों की आवाज गुम हो जाती है।
जगन्नाथ मंदिर का एक रहस्य यह भी है की आज तक इस मंदिर के ऊपर कोई पक्षी नहीं उड़ा है इसलिए इन मंदिर के ऊपर से हेलीकाप्टर या हवाई जहाज को उड़ाना वर्जित है। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर के शिखर पर का ध्वज रोज बदलना जरुरी है अगर यह एक भी दिन नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जायेगा। इसलिए इस ध्वज को रोज बदला जाता है। इन सभी बातों के अलावा एक और बहुत ही रोचक बात इस मंदिर से जुडी है इस मंदिर में जो प्रसाद बनाया जाता है वह लकड़ी पर बनता है और 7 बर्तनो में बनाया जाता है एक बर्तन के ऊपर एक बर्तन होते है। मानो बर्तनों की सीढ़ी हो और नीचे आग जला कर प्रसाद बनाया जाता है लेकिन इन सातों बर्तनो में सबसे पहले 7 वे बर्तन यानी सबसे ऊपर के बर्तन का प्रसाद बन कर तैयार होता है, फिर छठे, पांचवें, चौथे,और आखिर में पहले।
इस तरह बहुत सी रोचक बातें इस मंदिर से जुडी हुई है सभी की आस्था भी जुडी हुई है। लोग यहाँ दूर दूर से भगवान् श्री कृष्णा के दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर की रोचकता सभी को अपनी और आकर्षित करते है।