रिपोर्ट:- विकास सिन्हा
गावां के सेरुआ मुसहरी टोला निवासी चिंतामन रविदास के 18 वर्षीय पुत्र सोनू रविदास की लाश शुक्रवार को सकरी नदी में डाबर पुल के पास झाड़ियों से बरामद किया।
मामले का उद्भेदन करते हुए खोरी महुआ डीएसपी मुकेश कुमार महतो ने बताया कि सोनू के गांव के ही नवयुवक अपराधीयों ने घटना को अंजाम दिया है। आरोपियों में मुख्य तीन लोग सेरुआ निवासी संतोष, मुन्ना और संदीप 1 सप्ताह पूर्व ही गिरिडीह जेल से जमानत पर रिहा हुए थे और जेल से छूटने के पांच दिन बाद ही हत्याकांड को अंजाम दिया है। जेल से छूटने के बाद प्लानिंग के तहत तीनों अपराधियों ने सोनू के साथ मेलजोल बढ़ाया और 3 दिनों से उसके साथ पार्टी कर रहे थे। रविवार को भी उन लोगों ने सोनू के साथ डाबर पुल के नीचे पार्टी की इसके बाद उसकी हत्या कर दी, आरोपियों का गैंग रेप केस में बहुत खर्च हुआ था जमीन भी बिक गई थी उसी की भरपाई के लिए इस कांड को अंजाम दिया गया है। आरोपियों का मकसद सोनू की हत्या कर उसका शव को छुपाकर इसे अपहरण का मामला बनाकर परिजनों से लेवी वसूलना था। इसके लिए उन लोगों ने सोनू के ही मोबाइल से परिजनों से व्हाट्सएप कॉल और मैसेज के माध्यम से चार लाख की लेवी की मांग की थी। लेवी के लिए इन लोगों ने यूपी के बस्ती निवासी दीपक निषाद और दीपक कुमार का बैंक खाता नंबर परिजनों को दिया था। इसी के आधार पर जांच आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने इस कांड का उद्दभेदन किया है।
बता दें कि सोनू की हत्या में शामिल आरोपी संतोष,मुन्ना और संदीप गैंग रेप के आरोप में जेल में बंद था और पांच दिन पूर्व जेल से रिहा हुआ था। इन लोगों पर सेरुआ के ही एक नाबालिग रविदास के लड़की के साथ गैंगरेप करने का आरोप लगा था। उस मामले को पहले स्थानीय स्तर पर समझौता करने का प्रयास किया गया था, लेकिन घटना में लड़की रविदास जाति के थे। और सभी आरोपी मुसहर जाति के थे। इस कारण रविदास समाज के लोगों ने आगे बढ़ कर इस मामले को उजागर किया था और एफआईआर दर्ज करवाया था। इसी मामले में तीनों जेल गए थे। गैंग रेफ़ मामले को हाई लाइट करने में रविदास समाज के लोगों ने अहम भूमिका निभाई थी और उस में सोनू की मां ने भी हिस्सा लिया था। क्यूंकि वह लगातार मुखिया का चुनाव लड़ती थी और सामाजिक मामलों में बढ़ चढ़ कर भाग लेती थी और मामले को लेकर थाने तक गई थी। इसलिए अपराधियों ने सोनू को टारगेट किया।