आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति, दार्शनिक और शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की पुण्यतिथि है. राधाकृष्णन वो शख्स हैं, जिनके सम्मान में उनके जन्मदिवस पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 17 अप्रैल 1975 में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया है। इसके साथ ही देश ने ऐसी शख्सियत को खो दिया, जिन्हों ने अपनी अप्रतिम विद्वत्ता, चिंतन की ऊंचाई औऱ मानवीय गुणों से भारत को गौरवान्वित किया। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की आज 45वीं पुण्यतिथि है। वे 20वीं सदी के सबसे महान विद्वानों में से एक थे यही कारण था कि अंग्रेजों तक ने उन्हें ‘सर’ की उपाधि से नवाजा था। हालांकि जब भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली तब उन्होंने कभी भी उनके द्वारा दिए गए इस उपाधि को अपने नाम के साथ नहीं जोड़ा। वे स्वतंत्र भारत के पहले उप राष्ट्रपति थे। उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को मद्रास में हुआ था। आपको जानकर हैरानी होगी कि डॉ. राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था जिसमें 16 बार लिटरेचर के क्षेत्र में जबकि 11 बार शांति के क्षेत्र में।
इनके कुछ अनमोल विचार :-
ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।
शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए, जो ऐसिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।
किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।
भगवान की पूजा नहीं होती, बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं।
शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाली कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे।