जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इन दिनों मुस्लिम समुदाय के लिए रमजानुल मुबारक पाक का महीना चल रहा है। मुस्लिम ओलमाएं इकराम के मुताबिक रमजान रहमतों-मग़फ़िरत औऱ अल्लाह की रजामंदी हासिल करने का महीना है। जिसमें मुस्लिम समुदाय द्वारा की गई इबादत से रूह से लेकर जिस्म तक को सुकून मिलता है। ओलमाएं इकराम फरमाते है कि इस माह-ए-रमजान में तरावीह की नमाज की बहुत बड़ी फजीलत है। दो साल तक कोरोना के चलते रही बंदिशें इस बार नहीं रही और मस्जिद-मदरसों में तरावीह में बड़ी तादाद में रोजेदारों ने हिस्सा लिया।
गांडेय मुख्य बाजार मुस्लिम मुहल्ला गांडेय-गिरिडीह मुख्य मार्ग के किनारे स्थित जामा मस्जिद में जहां रमजान-उल-मुबारक की पहली तारीख से चल रही कुरान-ए-पाक तराहवी की नमाज शुक्रवार देर रात को संपन्न हो गई। बताया गया कि यहां तरावीह की नमाज करीब 15 साल के एक नन्हे बच्चे हाफिज-ए-क़ुरआन ने अदा कराई। और यहाँ के अकीदतमंदों ने महज इस 15 साल के हाफिज ए कुरआन के पीछे मुकम्मल तौर से कुरआन शरीफ़ का तीसों पारा सुना। खत्म तरावीह के मौकें पर सभी लोग सिरनी, पानी, धागा, लोहबान, तेल वगैरह पढ़वाने को लेकर मौजूद थें।
कुरान-ए-पाक तरावीह की नमाज मुकम्मल तौर से खत्म होने के पश्चात मौकें पर हाफिज मोहम्मद अरक़म के सर पर अकीदतमंदों ने पगड़ी बांधकर एवं फूलों की माल व पैसों की माला पहनाकर खैरमकदम किया। इसके दौरान अंजुमन कमिटी के समाजसेवी हाजी उस्मान अंसारी ने नात-ए-कलाम पेश कर रोजेदारों को वाह वाह, बहुत खूब, सुब्हान अल्लाह कहने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान ज़नाब हाजी उस्मान ने विस्तृत रूप से अपनी बातों को रखा। इस दौरान मौकें पर महज 15 साल के हाफिज-ए-कुरान मोहम्मद अरक़म को नज़राना के तौर पर बढ़ चढ़कर नवाज़ा गया। इस तरावीह के मौकें पर अंजुमन कमिटी के सेक्रेटरी वशीम अख्तर, नाइफ सेक्रेटरी मोहम्मद इकराम,हाजी मोहम्मद अशरफ़, मोहम्मद शमीम,इकरामुल हक उर्फ शोले, मोहम्मद अजमल सहित दर्जनों अकीदतमंद मौजूद थें।