एक और सरकार जहां विकास के कार्यों के बड़े बड़े दावे कर रही है, वहीं गिरिडीह जिले के तीसरी में कई गांव ऐसे भी हैं जिनका विकास से दूर दूर तक का कोई नाता तक नहीं है।
हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे ही गांव की जो तीसरी प्रखंड के अति सुरुवर्ती क्षेत्र में आता है। बता दें कि इस गांव का नाम कुंडी है और यह तीसरी प्रखंड के मनसाडीह पंचायत में आता है। यहां घरों की संख्या 80 के लगभग है और यहां की कुल आबादी हजारों के आसपास है, मगर फिर भी इस गांव में विकास का कोई भी कार्य नहीं हुआ है। हालांकि मुखिया द्वारा कुछ मामलों में हल्के फुल्के विकास के कार्य तो हुए हैं मगर महज यह सिर्फ ऊंट के मुंह में जीरा होने की कहावत को चरितार्थ करता है।
बताते चलें कि तीसरी प्रखंड मुख्यालय से यहां तक आने के लिए 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है जिसमे 30 किलोमीटर का पक्का सड़क है, वहीं बाकी 5 किलोमीटर पहुंचने के लिए लोगों को लोहे के चने चबाने पड़ जाते हैं।
अगर इस गांव में चिकित्सा से संबंधित बात करें तो यहां सहिया, सेविका सभी है किंतु वे इस गांव में झांकने तक नही आती है और नाही टीकाकरण की जानकारी होती है और नाही किसी प्रकार के सरकारी योजना का लाभ यहां के लोगों तक पहुंच पाता है। वर्तमान समय में इस गांव के लोग डायरिया की चपेट में आ रहे है और यह महामारी का रूप लेकर पूरे गांव में फैलता जा रहा है जिसका नतीजा यह है कि बीते एक माह में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है।
वहीं अगर बिजली व्यवस्था की बात करें तो यहां बिजली के तार तो पहुंचे है, लोगों के घरों में मीटर तक लगाए गए है मगर ये सिर्फ देखने की वस्तु बन कर रह गई है।
इसके अलावा अगर हम बात करें शिक्षा की तो यहां 1992 में निर्माण कराए गए प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के भवन तो है मगर उनकी स्थिति बिल्कुल जर्जर हो चुकी है। कोरोना काल होने के कारण अभी विद्यालय तो बंद जरूर है मगर कोरोना काल से पहले भी स्थिति बदतर है। ना तो शिक्षक यहां पढ़ाने आना जरूरी समझते है और नाही किसी प्रकार का जागरूकता अभियान यहां चलाया जाता। जिसका असर यह है कि लोगों के जागरूकता व जानकारी का हमेशा अभाव होता है।
यहां के ग्रामीणों का सीधा कहना है कि नेता व जनप्रतिनिधि सिर्फ वोट लेने चुनाव के समय दर्शन देते हैं, मगर जब बात विकास की आती है तो सभी गहरी नींद में चले जाते हैं। ग्रामीणों का सरकार और विभाग से मांग है कि इस गांव को भी मुख्य धारा से जोड़ा जाए जिससे उनके व उनके बच्चों का उज्जवल भविष्य बन सके।