बरगंडा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में गुरुवार को विजय दिवस की 50 वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सेवानिवृत सूबेदार जनार्दन राय उर्फ फौजी को प्रधानाचार्य ने श्रीफल और अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया।
मौके पर जनार्दन राय ने अपने 30 वर्षों का सैन्य अनुभव को बच्चों के साथ साझा किया।कहा कि 16 दिसंबर 1971 भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम दिन है। इसी दिन भारत के रणबांकुरों ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को घुटने टेकने को विवश कर दिया था।भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने पूर्वी पाकिस्तान को आजाद करा कर बांग्लादेश का गठन किया।भाषा और संस्कृति के आधार पर मुक्ति का संघर्ष वहां राष्ट्रीय भावना में तब्दील हो गया।सैनिक जीवन की शिक्षाओं को यथा अनुशासन,समयपालन,कर्तव्यनिष्ठा आदि अपने छात्र जीवन में धारण करना चाहिए। प्रधानाचार्य शिव कुमार चौधरी ने कहा कि 1971 के पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति की गलत नीतियों से पूर्वी पाकिस्तान त्रस्त था।इसका विरोध मुजीबुर्ररहमान ने किया और भारत से सहयोग मांगा। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ से स्वीकृति लेकर फील्ड मार्शल मानिक शाॅ के नेतृत्व में अपनी सेना को संगला भेजा।अंत में पाकिस्तानी जनरल ने अपनी निजी रिवाल्वर को फील्ड मार्शल को सुपुर्द करते हुए सलाम किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में अजीत मिश्रा नलिन कुमार राजीव सिन्हा राजेंद्र लाल बरनवाल प्रसून सिंह मनोज कुमार चौधरी एवं समस्त आचार्य जी का सराहनीय योगदान रहा।