राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत और बंगाल के नवयुग का जनक कहा जाता हैं. उन्होंने पारम्परिक हिन्दू परम्पराओं को तोड़ते हुए महिलाओं और समाज के हितों में कई सामाजिक कार्य किए. हालांकि भारत के इतिहास में उनकी पहचान देश में सती प्रथा के विरोध करने वाले प्रथम व्यक्ति के रूप दर्ज हैं. लेकिन इसके अतिरिक्त भी कई ऐसे कार्य हैं जिनके कारण राजा राम मोहन राय को आज भी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता हैं. राममोहन ना केवल महान शिक्षा विद थे, बल्कि एक विचारक और प्रवर्तक भी थे. वो कलकत्ता के एकेश्वरवादी समाज के संस्थापकों में से भी एक थे. उस समय जब भारतीय संस्कृति और भाषा को ही सम्मान दिया जाता था, तब राम मोहन राय इंग्लिश, विज्ञान, वेस्टर्न मेडिसिन और टेक्नोलॉजी जैसे नवीन विषयों के अध्ययन के पक्षधर बने.