ठाकुर रोशन सिंह का जन्म शाहजहांपुर के नबादा गांव में 22 जनवरी 1892 को हुआ था। ठाकुर रोशन सिंह भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले क्रांतिकारियों में से एक थे। गाँधीजी के ‘असहयोग आन्दोलन’ के समय रोशन सिंह ने उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर और बरेली ज़िले के ग्रामीण क्षेत्र में अद्भुत योगदान दिया था।
ठाकुर रोशन सिंह 1929 के आस-पास ‘असहयोग आन्दोलन’ से पूरी तरह प्रभावित हो गए थे। वे देश सेवा की और झुके और अंतत: राम प्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आकर क्रांति पथ के यात्री बन गए। यह उनकी ब्रिटिश विरोधी और भारत भक्ति का ही प्रभाव था की वे बिस्मिल के साथ रहकर खतरनाक कामों में उत्साह पूर्वक भाग लेने लगे। ‘काकोरी काण्ड’ में भी वे सम्म्लित थे और उसी के आरोप में वे 26 सितंबर 1925 को गिरफ़्तार किये गए थे। और काकोरी कांड में उन्हे दोषी माना गाया और फांसी की सजा सुनाई गई। रामप्रसाद बिस्मिला, अशफाक उल्ला के साथ ठाकुर रोशन सिंह को 19 दिसंबर 1927 को इलाहाबाद की नैनी जेल में फांसी दी गई।