अरविंद अरोड़ा की रिपोर्ट
सिनेमा को लोक, संस्कृति और धरोहर से जोड़ता अनोखा फिल्मोत्सव अरविंद अरोड़ा सिनेविधा को सिनेप्रमियों तक पहुंचाने के लिए फिल्म उत्सवों का आयोजन विश्व के हर हिस्से में किया जाता है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। भारत सरकार द्वारा प्रति वर्ष गोआ में आयोजित किया जाने वाला प्रतिष्ठित ‘भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव’ हो या कोलकाता, त्रिवेंद्रम, धर्मशाला जैसे स्थानों पर प्रतिवर्ष लगाए जाने वाले फिल्मों के मेले, देश-विदेश से फिल्मकार, फिल्म समीक्षक, पत्रकार, लेखक, तकनीशियन, सिनेमा के छात्र तथा सिनेमा-प्रेमी दर्शक इन आयोजनों के गवाह बनते हैं और बेहतरीन सिनेमा का आनंद लेने के साथ उन पर चर्चाओं एवं गोष्ठियों में भाग लेकर विचार-विनिमय भी करते हैं।
परंतु आमतौर पर देश के बड़े शहरों एवं पर्यटन-स्थलों में होने वाले इन आयोजनों में हमारे समाज के उच्च- शिक्षित, अपेक्षाकृत संपन्न एवं संभ्रांत वर्ग के लोगों की भागीदारी ही अधिक देखी जाती है। गांव-कस्बों में अमूमन ऐसे आयोजन देखने में नहीं आते हैं, न ही समाज के निचले पायदान पर बैठे फिल्मकारों, लेखकों अथवा सिनेमा-प्रेमियों की उपस्थिति ही ऐसे फिल्म उत्सवों में अधिक देखने को मिलती है। इसी जमीन को तोड़ कर अपनी एक बिल्कुल अलहदा जगह तैयार करता है मध्य प्रदेश की आध्यात्मिक- सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर नगरी खजुराहो में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा ‘खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव’, जिसका सातवां संस्करण 5 से 11 दिसंबर, 2021 तक सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। बुंदेलखंड क्षेत्र की सर्वांगीण उन्नति एवं विकास के लिए कृत संकल्प अभिनेता-निर्माता-निर्देशक राजा बुंदेला तथा उनकी अभिनेत्री पत्नी सुष्मिता मुखर्जी की कोशिशों के फल के रूप में उपजा यह फिल्म-उत्सव कई मायनों में इस लिए अनोखा है, क्योंकि अपनी विशिष्ट मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध खजुराहो नगरी के मंदिरों की पृष्ठभूमि में ऐसा सिनेमाई आयोजन तब से किया जा रहा है जब यहां एक अदद सिनेमाघर तक मौजूद नहीं था। इसके चलते, यहां प्रदर्शित की जाने वाली देश-विदेश की सभी चुनिंदा फिल्में तंबू में बने अस्थाईसिनेमाघरों में ही दिखाई जाती हैं, जिन्हें यहां की स्थानीय भाषा में ‘टपरा टॉकीज़’ के नाम से जाना जाता है। उत्सव के दिनों में आप खजुराहो नगर के आस-पास किसी भी प्राचीन मंदिर की पृष्ठभूमि में खड़े किए गए अनेकों ‘टपरा टॉकीज़’ में से किसी में भी बिना किसी टिकट या औपचारिकता के शॉर्ट-फिल्मों से लेकर नई- पुरानी हिन्दी व अन्य भाषाओं की फिल्मों का आनंद लेते स्थानीय ग्रामीण एवं कस्बाई दर्शकों को देख सकते हैं। और विश्वास कीजिए यह देखना देश भर में कहीं भी आयोजित किए जाने वाले फिल्म उत्सवों में एक बिलकुल अनूठी प्रसन्नता और संतोष देने वाला अनुभव है।
कमोबेश इन्हीं कोशिशों का नतीजा है कि शनैः-शनैः अब सिनेमा प्रेम न सिर्फ खजुराहो व छतरपुर जैसे करीबी इलाकों के दर्शकों व युवाओं में जगह बनाने लगा है, बल्कि इसकी वित्तीय व व्यापारिक संभावनाएं भी अब यहां अंगड़ाइयां लेने लगी हैं जिसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है खजुराहो के मंदिरों से मात्र दो किलोमीटर दूर राजनगर नामक स्थान पर नवाचार प्रिय उद्यमी निश्चल चौरसिया द्वारा निर्मित व हाल ही में प्रारंभ किया गया इस क्षेत्र का पहला सिनेमाघर ‘एन.वी.आर.’ जो कि न सिर्फ आरामदायक कुर्सियों व अत्याधुनिक डिजिटल प्रोजेक्शन सुविधा से लैस है, बल्कि रंगकर्म से जुड़ी व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन के लिए भी तैयार किया गया है। सिनेकर्म की अलग-अलग विधाओं में क्षेत्र के स्थानीय संभावनाशील युवाओं को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने के लिए खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष अनेकों परिचर्चाओं एवं कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाता रहा है, और इसके लिए सिनेमा जगत की दिग्गज हस्तियां यहां आकर अपना बहुमूल्य समय एवं योगदान देती रही हैं, जिनमें शेखर कपूर, अनुराग बसु, अनुपम खेर, प्रकाश झा, शक्ति कपूर, राहुल रवैल, अखिलेंद्र मिश्रा, जरीना वहाब, सुरेंद्र पाल, दलेर मेंहदी, रोहिताश्व गौड़ जैसे कई ताकतवर नाम शामिल रहे हैं। इस वर्ष खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव 2021 के उद्घाटन समारोह की जान बॉलीवुड के सुपरस्टार गोविंदा रहें जिन्होंने खजुराहो की जनता से हार्दिक तादात्म्य स्थापित करते हुए उनकी फरमाइश को पूरा करते हुए मंच पर संवाद सुनाए, अपनी आवाज में भजन गाए और अपने सुपरहिट गीतों पर ठुमके भी लगाए।
इतने बड़े सुपरस्टार का किसी छोटी-सी जगह की जनता से ऐसा जुड़ाव शायद सिर्फ यहीं देखा जा सकता था। फिल्म पत्रकारिता, लेखन और सिनेमाई विमर्श की बात की जाए तो अजय ब्रह्मात्मज, प्रकाश के रे, दीपक दुआ, प्रह्लाद अग्रवाल, हरीश पाठक, रेखा खान जैसे प्रख्यात फिल्म समीक्षक-विचारक-लेखक यहां आकर सिनेमा के बदलते संसार की चुनौतियों और उनसे निपटने की नीतियों पर स्थानीय युवाओं से खुली एवं सार्थक चर्चाएं करते रहे हैं। कुल मिला कर, यह कहना गलत नहीं होगा कि जो काम खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव प्रत्येक वर्ष बुंदेलखंड के क्षेत्र में कर रहा है, अगर ठीक वही काम देश के हर क्षेत्र के कस्बों, गांवों में किया जाने लगे, तो हमारा सिनेमा लोक, संस्कृति एवं धरोहरों से जुड़ कर उस ‘भारतीय सिनेमा’ का रूप वास्तविक अर्थों में ले सकेगा, जिसकी आत्मा देशज भारत की सौंधी सुगंध से फिलहाल महरूम है। बॉक्स फिल्म समीक्षक दीपक दुआ हुए सम्मानित हिन्दी सिनेमा पर विगत 28 वर्षों से सार्थक फिल्म पत्रकारिता, समीक्षा एवं लेखन कार्य कर रहे तथा प्रख्यात
फिल्म ब्लॉग ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ के संचालक-संपादक और ‘दिल्ली अब तक’ के लिए नियमित फिल्म समीक्षा करने वाले दीपक दुआ को खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव 2021 के मंच पर फिल्म माध्यम को उनके द्वारा दी गई सतत सेवाओं के उपलक्ष्य में ‘विशिष्ट पत्रकार सम्मान’ से विभूषित किया गया। मध्यप्रदेश शासन में मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने उन्हें शॉल, प्रशस्ति पत्र, श्रीफल व इस फिल्म उत्सव की विशिष्ट पर्यावरणीय पहचान एक नन्हा-सा पौधा देकर सम्मानित किया।