महात्मा गांधी का नाम भारत में ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है। उन्हें देश का राष्ट्रपिता कहा जाता है। उनकी सीख, सत्य और अहिंसा के बारे में तो आप सब ने सुना होगा लेकिन मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता और बापू बनने के पीछे एक महिला के त्याग का अहम रोल है। उनका नाम है कस्तूरबा गांधी। कस्तूरबा गाँधी महात्मा गाँधी की पत्नी थीं। कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल सन् 1869 में महात्मा गाँधी की तरह नगर में हुआ था। इस प्रकार कस्तूरबा गाँधी आयु में गाँधी जी से 6 मास बड़ी थीं। कस्तूरबा बचपन में निरक्षर थीं और मात्र सात साल की अवस्था में उनकी सगाई 6 साल के मोहनदास के साथ कर दी गई और तेरह साल की छोटी उम्र में उन दोनों का विवाह हो गया। 1888 तक दोनों साथ ही रहे. महात्मा गांधी जब इंग्लैंड से भारत लौट आये उसके बाद लगभग बारह वर्षो तक दोनों ने अलग अलग दिन गुजारे. उसके बाद गांधीजी को आफ्रिका जाना पड़ा था. 1896 में वे भारत लौट आये, उस समय वे बा को भी अपने साथ लेकर चले गए. इस समय से वह गांधीजी के साथ रहने लगी थी. बापू के हर फैसले में साथ देना, यह बा ने अपना परम कर्त्तव्य माना था. वे बापू के हर महाव्रतों में सदैव उनके साथ रहीं। 1922 में जब गांधी जी को गिरफ्तारी हुई, इस समय कस्तूरबा ने गुजरात के गावों का दौरा किया. क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण 1932 और 1933 में उनका अधिकांश समय जेल में ही गुजरा. 1939 में उन्होंने राजकोट रियासत के राजा के विरोध में भी सत्याग्रह में भाग लिया। 1944 में जनवरी में उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा. उनके निवेदन पर सरकार ने आयुर्वेद के डॉक्टर का प्रबंध भी कर दिया और कुछ समय के लिए उन्हें थोडा आराम भी मिला पर 22 फरवरी, 1944 को उन्हें एक बार फिर भयंकर दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गयी।