हमारे देश में आदिवासी समुदाय द्वारा कई उत्सव मनाए जाते हैं। करमा उत्सव भी इनमें से एक है। करमा पूजा झारखंड में खास तौर पर मनाया जाता है। इस दिन लड़कियां व्रत रखती हैं और फिर शाम को बांस की डाली की पूजा की जाती है।करम पर्व को शांति और खुशहाली का प्रतिक माना जाता है। पर्व की रात को जाकर झारखंड के लोकनृत्यु और गीतों का आनंद लिया जा सकता है। इस पर्व में बांस की डाली की खास महत्व है। पूरे दिन उपवास की जाती है और शाम के समय बांस की डाली की पूजा की जाती है। इसे करमा डाली का नाम दिया जाता है। करमा पर्व के दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। इनके भाई ‘करम’ वृक्ष की डाल लेकर घर के आंगन में गाड़ते हैं। इसके बाद सभी महिलाएं आदि नृत्यु करते हैं, रात भर जागकर फल्लास मनाते हैं और सुबह के समय इस डाली का विसर्जन कर दिया जाता है।