अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
वैसे तो हर दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए , लेकिन यूनाइटेड नेशन से मंजुरी के बाद हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है । अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम के आयोजन का मूल उद्देश्य नारियों को न केवल सशक्त जागृत करना है बल्कि उन्हें आगे आने के लिए प्रेरित करना है ।
हमारे जीवन में महिलाए बहुत महत्वपूर्ण है। महिलाओं के जीवन से ही हमारा जीवन संभव है। महिलाएं इस संसार की सबसे बड़ी प्रेम की प्रतीक होती है। बच्चों में संस्कार भरने का काम मां के रूप में नारी द्वारा ही किया जाता है। बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है ।नारी को जगत जननी की उपाधि दी गई है। नारी देवी की प्रतिमूर्ति होती है। सृष्टि का अस्तित्व नारी से जुड़ा हुआ है । इन्हे ही सृष्टि का आधार माना गया है।
प्रथम बार महिला दिवस न्यूयॉर्क मे 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को राष्टीय अवकाश घोषित किया ।
यदि इतिहास मे देखे तो मदर टेरेसा, महादेवी वर्मा, सुचेता कृपलानी, कस्तूरबा गांधी, और इंदिरा गांधी आदि जैसी अनेक महिलाओं ने अपने कार्य से पूरे विश्व में अपना नाम रोशन किया हैं, यहां तक कि इंदिरा गांधी ने अपने दृढ़ संकल्प के बल पर विश्व राजनीति को परभावित किया हैं। उन्हें लौह महीला यू ही नही कहा जाता हैं।
आज हमे मानसिक चिंतन कर महिलाओं के प्रति सम्मान और प्रेम भाव प्रकट करना चाहिए। हमारे समाज में आज भी लैंगिक विभाजन देखने को मिलता है। खेल जगत , राजनेतिक स्तर पर, तथा देश की सुरक्षा आदि में महिलाओ ने अहम भूमिका निभाई है, परंतु उनकी संख्या आज भी लडको की तुलना मे कम है। अगर इस लैंगिक विभाजन की दीवार को हटाना है तो उन्हे किसी भी कार्य के लिए यह ना कहे कि यह काम लड़कियों के लिए