बता दें कि प्रखंड मुख्यालय समेत डूमारझाड़ा जंगलों में इनदिनों अवैध जहरीला महुआ शराब की चुलाई धड़ल्ले से किया जा रहा है साथ ही नकली अंग्रेजी शराब का भी निर्माण किया जा रहा है। अंग्रेजी शराब की बढ़ती कीमत के कारण लोग महुआ शराब का सेवन करते हैं। इन क्षेत्रों में महुआ शराब चालीस से पचास रूपये प्रति बोतल बेचा जा रहा है।
*ऐसे तैयार की जाती है जहरीली शराब*
कच्ची शराब को अधिक नशीली बनाने के चक्कर में जहरीली हो जाती है. सामान्यत: इसे बनाने में गुड़, शीरा से लहन तैयार किया जाता है। लहन को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है। इसमें यूरिया और बेसरमबेल की पत्ती डाला जाता है। अधिक नशीली बनाने के लिए इसमें ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है, जो मौत का कारण बनती है। इसके अलावा कुछ जगहों पर कच्ची शराब बनाने के लिए पांच किलो गुड़ में 100 ग्राम ईस्ट और यूरिया मिलाकर जमीन में गाड़ दिया जाता है। यह लहन उठने पर इसे भट्टी पर चढ़ा दिया जाता है। गरम होने पर जब भाप उठता है तो उससे शराब उतरी जाति है।
*इस प्रकार की जहरीली शराब बनती है लोगों की बीमारी और मौत का कारण*
हलांकि लगातार इस प्रकार के शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेय व जानलेवा भी साबित होता है। मगर यूरिया और ऑक्सिटोसिन जैसे केमिकल पदार्थ मिल जाने की वजह से मिथाइल अल्कोहल बन जाता है। मिथाइल शरीर में जाने के वजह से केमिकल रिएक्शन तेज हो जाता है। जिससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते है और लोगों को गंभीर बीमारियां हो जाती है। कभी कभी इससे लोगों की तुरंत ही मौत हो जाती है।
*निर्माण के बाद इसे , तीसरी गावा और बिहार में किया जाता है सप्लाई*
तीसरी प्रखंड के डूमारझाड़ा जंगलों में व्यापक पैमाने पर शराब निर्माण का कार्य धड़ल्ले से करने के बाद उसे गावां व तीसरी प्रखंड के विभिन्न कारोबारियों के पास डब्बे में डालकर वाहनों से भेजा जाता है। वहीं जंगली रास्ते से इसे बिहार भी भेजा जा रहा है। ।
*, लोकाए थाना पुलिस व उत्पाद विभाग की स्थिति संदिग्ध*
लोकाय थाना क्षेत्र में शराब माफियायों द्वारा इस प्रकार का धडल्ले से जहरीला शराब का निर्माण करना और उसे ग्रामीण क्षेत्रों में खुले आम ले जा कर बेचने से पुलिस विभाग व उत्पाद विभाग सवाल के घेरे में आ खड़े हो गए है। आखिर क्या कारण है जो अधिक संख्या में शराब माफिया पुलिस के नाक के नीचे जहरीला शराब का निर्माण कर इसका खपत आसानी से कर रहे है? आखिर क्या वजह है जिससे माफियाओं के मन में कोई खौफ नहीं है? आखिर क्या कारण है जो दिन दहाड़े लोग शराब को जंगलों से गांव गांव तक पहुंचा रहे है और उन्हे गिरफ्त में नही लिया जा पा रहा है? आखिर क्या कारण है कि छापेमारी के दौरान उन्हें कुछ भी हाथ नही लगता मगर इसके पहले व बाद धडल्ले से बेचा जाता है? ऐसे कई सवाल लोगों के मन में है जो पुलिस विभाग व उत्पाद विभाग पर संसय पैदा कर रहा है।