पंडित दीनदयाल उपाध्याय सन 1953 से 1968 तक भारतीय जनसंघ के नेता रहे। एक गम्भीर दार्शनिक एवं गहन चिंतक होने के साथ-साथ वह एक ऐसे समर्पित संगठनकर्ता और नेता थे जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में व्यक्तिगत शुचिता एवं गरिमा के उच्चतम आयाम स्थापित किये। उनका राजनीतिक दर्शन मानव मात्र की आवश्यकताओं के अनुरूप और हमारे प्राकृतिक आवास के अनुकूल राजनीतिक कार्यप्रणाली एवं शासकीय कौशल का मार्ग प्रशस्त करने वाला एक चहुंमुखी वैकल्पिक जीवन दर्शन है।