हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा मतलब गुरुओं का दिन। गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में गुरु के महिमा का वर्णन ईश्वर से भी बढ़ चढ़कर किया गया है
गुरू के बिना एक शिष्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं है। रामायण से लेकर महाभारत तक गुरू का स्थान सबसे महत्वपूर्ण और सर्वोच्च रहा है। गुरु की महत्ता को देखते हुए ही महान संत कबीरदास जी ने लिखा है- “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये।” यानि एक गुरू का स्थान भगवान से भी कई गुना ज्यादा बड़ा होता है।