गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे। गुरु तेग बहादुर का असली नाम त्याग मल था। उन्होंने प्रथम गुरु नानक द्वारा बताए गये मार्ग का अनुसरण किया। उनके द्वारा रचित 115 पद्य गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित हैं। उन्होने काश्मीरी पंडितों तथा अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया था। जिसकी वजह से 1675 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने ने उन्हें इस्लाम धर्म क़ुबूल करने को कहा पर गुरु तेग बहादुर नहीं माने और उन्होंने कहा कि “शीश कटवा सकते हैं पर केश नहीं”, तब मुग़ल शासक ने सबके सामने गुरु तेग बहादुर का सर काट दिया था। गुरु तेग बहादुर के त्याग और बलिदान के लिए उन्हें “हिंद दी चादर” कहा जाता है। मुगल बादशाह ने जिस जगह पर गुरु तेग बहादुर का सिर कटवाया था दिल्ली में उसी जगह पर आज शीशगंज गुरुद्वारा स्थित है।