मुंबई/वसई: भारत के इतिहास में आदिवासी जननायक बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे, जिन्होंने भारत में अपने क्रांतिकारी चिंतन से उन्नीसवीं शताब्दी में गरीब, कमजोर वंचित पस्मांदा आदिवासी सहित पूरे भारतवासियों की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। वह केवल जननायक नहीं बल्कि साहस का नाम थे। यह विचार बिरसा मुंडा के प्रतिमा अनावरण समारोह को संबोधित करते हुए झारखंडी एकता संघ मुंबई के राष्ट्रीय अध्यक्ष असलम अंसारी एवं विनोद विश्वकर्मा ने कहे। झारखंड प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में वसई ईस्ट के चिंचोटी फाटा में रविवार को क्रांतिवीर बिरसा मुंडा प्रतिमा अनावरण समारोह झारखंडी एकता संघ मुंबई एवं वसई तालुका आदिवासी क्रिकेट एसोसिएशन के द्वारा बड़े ही धूमधाम से उद्घाटन एवं स्थापित किया गया। इस अवसर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा गिरिडीह जिला उपाध्यक्ष श्री त्रिभुवन मंडल जी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत किए। इन्हीं के हस्ते मूर्ति का अनावरण किया गया। इस मौके पर विनोद प्रसाद, ताजुद्दीन अंसारी, सदरुल शेख़, संतोष कुमार, तौफीक अंसारी, लतीफ़ अंसारी, बिल्डर अबरार खान, राजेंद्र शर्मा एवं असलम शेख विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम में उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों को वसई तालुका आदिवासी क्रिकेट एसोसिएशन के द्वारा अतिथियों को सम्मानित फूल के गुच्छे एवं सन्मानचिन्ह देखकर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री त्रिभुवन मंडल जी ने बिरसा मुंडा के संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिरसा मुंडा ने गांव-गांव घूमकर लोगों में राजनीतिक, धार्मिक जागृति एवं समाजिक न्याय लाई बल्कि (हमार देश में हमार शासन) का बिगुल फूंका। और संस्था वसई तालुका आदिवासी क्रिकेट एसोसिएशन के सभी अधिकारियों को झारखंड प्रदेश आने का न्योता दिया। सदरुल शेख़ एवं संतोष कुमार ने कहा आज भी देश की कुल आबादी का लगभग ग्यारह प्रतिशत आदिवासी है। आजादी के सात दशकों के बीत जाने के बाद भी भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले आदिवासी आज भी उपेक्षित है। कार्यक्रम के संचालन में वसई तालुका आदिवासी क्रिकेट असोसिएशन अध्यक्ष मा.रघुनाथ जोगारी, झारखंड प्रदेश के हजारों प्रवासी मजदूरों सहित संस्था के सदस्यों का काफी सहयोग रहा।