उर्दू भाषा के साथ सोतेलापन का आरोप लगाकर गुरुवार को AIMIM के कार्यकर्ताओं ने डीसी आफिस पहुच उपायुक्त को एक ज्ञापन सौपा।यह ज्ञापन राज्यपाल, शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव,सचिव अधिविध परिषद रांची तथा अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के नाम दिया गया।जिसमें उर्दू भाषा के साथ सौतेला व्यवहार होने का आरोप लगाकर AIMIM इसके संवर्धन की मांग की गई।यहां मुख्य रूप से मोहम्मद इनाम, मोहम्मद आफाक नौशाद,सरताज खान व शाहनवाज आलम मौजूद थे।इनका संयुक्त रुप से कहना था कि झारखंड गठन के समय बिहार के सभी नियम कानून को झारखंड में लागू करने का प्रावधान था।जिसके तहत उर्दू राज्य की दूसरी सरकारी भाषा है। साथ ही 16 दिसंबर 2007 को पुनः झारखंड में उर्दू को द्वितीय राजभाषा घोषित किया गया।बिहार के समय में चल रहे कई प्राथमिक और उर्दू मध्य विद्यालय झारखंड में आए जो अब तक चल रहा है। उर्दू विद्यालय में शुक्रवार की छुट्टी का प्रावधान रहा है। इधर कुछ दिनों से राज्य सरकार कई उर्दू विद्यालयों को सामान्य विद्यालय बताकर शुक्रवार की छुट्टी रद्द कर रही है और विद्यालय के बोर्ड से उर्दू हटा रही है जो न्याय संगत नहीं है। विद्यालय की ओर से संबंधित रजिस्टर और रिकॉर्ड देखने के बाद भी शिक्षा विभाग अपने तुगलकी फरमान के तहत इन विद्यालयों को उर्दू नहीं मान रही है। उर्दू विद्यालय में उर्दू लिपि की किताबें उपलब्ध नहीं कराई जा रही है तथा उर्दू विद्यालय में मुख्य विषय उर्दू को ही हटा दिया गया है। राज्य के विभिन्न प्लस 2 स्कूलों में उच्च विद्यालय के आदेश के बाद भी उर्दू शिक्षकों की बहाली नहीं की जा रही है।इन्हीं मांगो को लेकर ज्ञापन सौपा गया है।