कोलकाता। देश की सांस्कृतिक और सामाजिक संस्था ‘वाराही’ नें 11 जून 2022 को इंद्रधनुष’ नाम से राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन किया।जिसमें इसमें देश के सुप्रसिद्ध कवि और शायर आमंत्रित किये गए हैं।
यह कवि सम्मेलन क्लेड रो, हेस्टिंग्स स्थित ऑर्डिनेंस क्लब में आयोजित हुवा।
पश्चिम बंगाल के पुलिस(होमगार्ड)महानिदेशक श्री मृत्युंजय कुमार सिंह मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल हुवे।बताया गया कि
श्री मृत्युंजय कुमार सिंह खुद एक पुलिस अधिकारी के साथ साथ एक उपन्यासकार, कवि, गीतकार, गायक सुप्रसिद्ध साहित्यकार
भी हैं। बंगाली और भोजपुरी संगीत और फिल्म उद्योग दोनों में काम कर चुके कवि, गीतकार और गायक श्री मृत्युंजय कुमार सिंह ने हिंदी फिल्मों के लिए गीत भी लिखा हैं और विदेशों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।इधर
सुप्रसिद्ध साहित्यकार, ‘उड़ान एक अनुभूति’ पत्रिका के प्रबंध-सह मुख्य संपादक, अध्यात्मिक कवि श्री सुरेश चौधरी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुवे।वहीं
मशहूर शायरा मोहतरमा मुमताज़ नसीम इस
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही थीं। मुमताज़ नसीम भारत और विदेशों में कवि सम्मेलनों और मुशायरों का एक सुप्रसिद्ध नाम है। मुमताज़ जी भारत ही नहीं विदेशों की युवा पीढ़ी की खासतौर से बहुत पसंदीदा कवयित्री हैं।इस कार्यक्रम में
सुप्रसिद्ध कवि डॉ.कुँअर बेचैन के शिष्य एवं दर्जनों पुरस्कार व सम्मान प्राप्त सुप्रसिद्ध कवि डॉ. चेतन आनंद नें इस कार्यक्रम का संचालन किया।
कार्यक्रम के आरंभ में दीप प्रज्वलन के बाद डॉ.ज्योति उपाध्याय देवी सरस्वती की वंदना से हुई।
इसके बाद मुख्य और विशिष्ट अतिथि एवं आमंत्रित कवियों का स्वागत सम्मान किया गया। पश्चात कवि सम्मेलन आरंभ हुवा।
देश के सुप्रसिद्ध हास्य कवि श्री सुनहरी लाल तुरन्त, राष्ट्रीय संस्था शब्दाक्षर के संस्थापक और
अध्यक्ष श्री रवि प्रताप सिंह, प्रख्यात कवयित्री डॉ. ज्योति राहुल उपाध्याय और श्रंगार रस की सुप्रसिद्ध कवयित्री सुश्री बबीता राणा काव्य पाठ कर माहौल को अद्भुत बना दिया।इस बाबत वाराही संस्था की संस्थापिका और कार्यक्रम संयोजिका नीता अनामिका ने बताया कि वाराही संस्था की ओर से हमेशा है सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों को आगे बढ़ाया जाता है। कोरोना की वजह से पिछले 2 साल से कार्यक्रमों का कारवां थमा हुआ था।लेकिन इस बार इंद्रधनुष की सतरंगी छटा बिखेर कर माहौल को साहित्यिक और सांस्कृतिक रंग में रंगने का प्रयास किया गया है।