झारखण्ड के पश्चिम सिंहभूम संभाग के सारण्ड के घने जंगल जो कभी नक्सलवाद के लिए जाना जाता था। जो कभी नक्सलियों के लिए सुरक्षित स्थान हुआ करता था। उस क्षेत्र में रात तो छोडो दिन में भी जाने की हिम्मत किसी की नहीं होती थी। ऐसे क्षेत्र में शिक्षा की रौशनी फ़ैलाने की जिम्मेदारी ली है झारखण्ड के CRPF जवानों ने। किसी भी बच्चे को नक्सलवाद में घुसा कर उनका भविष्य अन्धकार में लेकर जाना बहुत आसान है लेकिन उन्हीं मासूमों के बीच शिक्षा को लाकर उनका भविष्य सवारना बहुत कठिन है लेकिन इस कार्य का जिम्मा सारंडा जंगल के जुम्बईबुरु में तैनात सीआरपीएफ 26वें बटालियन के कंपनी कमांडर सुबीर कुमार मंडल ने उठाया है। इन्होने दोहरी लड़ाई प्रारम्भ कर दी है जिसमे इनकी पहली लड़ाई नक्सलियों के खिलाफ चल रही है, जबकि दूसरी लड़ाई अशिक्षा के खिलाफ शुरू की है। बता दें कि सारंडा के जुम्बईबुरु, धर्नादिरी, चेरवालोर, बालेहातु जैसे गांव में बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल नहीं हैं । यहां के बच्चे दूसरे गांवों में स्थित स्कूलों में पढ़ने कई किलोमीटर पैदल चलकर जाते हैं। ऐसी विकट स्थिति को देखते हुए सीआरपीएफ के कंपनी कमांडर सुबीर कुमार मंडल ने अपने सहयोगी जवानों के साथ कैंप के बगल में ही जमीन पर दरी बिछाकर उक्त गांव के बच्चों को बुलाकर शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं। इस कार्य से गावं के लोग काफी खुश है और इस कार्य कि सराहना भी कि जा रही है साथ ही इस कार्य में ग्रामीणों का सहयोग भी प्राप्त हो रहा है।