राजा राम मोहन राय आधुनिक भारत के जनक ही नहीं थे वरन् वे नये युग के निर्माता भी थे| जिन्होने 100 वर्षो के सोये हुए भारत को जागृत किया| इनका जन्म बंगाल के राधानगर में 22मई सन् 1772 को हुआ था|
ये बहु विवाह, सती प्रथा, अनमेल विवाह एंव बाल विवाह के कट्टर विरोधी थे| इन्होने महिलाओ को पति की सम्पति में हक दिलाने कि मांग की, और हिन्दु परम्पराओ का भी विरोध किया| वे ईस्ट इण्डिया कम्पनी के राजस्व विभाग में नौकरी करते थे| सन् 1812 में समाज सुधार के लिए आवाज उठाई| समाज सुधार कि भावना से प्रेरित होकर नौकरी से इस्तीफा दे दिया|
भारत के स्वंत्रता संग्राम मे भी अहम भुमिका निभाई थी| उन्होने 1828 ब्रह्म समाज नामक संगठन कि स्थापना भी की| भारत के इतिहास में इनकी पहचान देश में सती प्रथा का विरोध करने वाले प्रथम व्यक्ति के रूप में जाने जाते है| इनके प्रयासों से 1829 में सती प्रथा पर कानुनी रोक लग गई|
मुगल सम्राट अकबर द्वितीय द्वारा इन्हे राजा की उपाधी दी गई थी| लोग आज भी इनके महान कार्य को नही भुले है| इनकी जयंती पर प्रतेक वर्ष उनकी प्रतीमा पर पुष्पांजली अर्पित कर श्रद्धांजलि दी जाती है |