अगले 22 मार्च 2023 से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होगा। इन 9 दिनों के महत्व और पूजा विधि के बारे में यहां चर्चा करेंगे..
22 मार्च से शुरू होने वाली चैत्र नवरात्रि के दौरान पंचक में माता रानी पृथ्वी पर पधारेगी लेकिन आदि शक्ति जगदंबा के पूजा में पंचक का प्रभाव नहीं पड़ेगा। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:29 से 07:39 तक होगी। इस चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा नाव की सवारी से आएंगी जोकि बहुत शुभ माना जाता है। जबकि उनकी विदाई डोली में होगी। वहीं इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के पहले 2 दिन बहुत ही शुभ ब्रह्म और शुक्ल योग का संयोग बन रहा है। जिसमें माता रानी की पूजा का दुगुना फल प्राप्त होगा।
महत्व और लाभ
नव और रात्रि शब्द से मिलकर बना नवरात्रि का अर्थ होता है 9 रातें। रात्रि सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन काल से ही शिव और शक्ति की उपासना के लिए ऋषि-मुनियों ने दिन की अपेक्षा रात को ज्यादा महत्व दिया है। नवरात्रि के 9 रातों को देवी के 9 स्वरुपों की साधना कर साधक अलग-अलग सिद्धि प्राप्त करता है। वहीं अगर हम नवरात्रि के लाभ की बात करें तो मानव जीवन के 3 पहलू है शरीर, मन और आत्मा। मनुष्य की समस्याएं भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक दिनों के इर्द-गिर्द घूमती हैं। रात्रि दुख से मुक्ति दिला कर जीवन में सुख लाती है। नवरात्रि की 9 रातें साधना, ध्यान, व्रत, संयम, नियम, त्राटक, योग, यज्ञ, तंत्र आदि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि में देवी दुर्गा की अराधना करने से देवी प्रसन्न होती है और भक्तों का हर कष्ट हर लेती है।