सुखदेव एक प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। इस क्रांतिकारी के बारे में जब भी बात होती हैं आंखों में गर्व के आंसू छलक जाते हैं।
सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को हुआ था। सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य थे. वे पंजाब और उत्तर भारत के अन्य शहरों में क्रांतिकारी गतिविधियाँ सम्भालते थे. उनका जीवन देश और देश हित को पूरी तरह समर्पित था. उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज में युवाओं को भारत का गौरवशाली इतिहास बताकर उनमे देश भक्ति जगाने का काम भी किया था।
हालांकि सुखदेव को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में हमेशा उस घटना के लिए याद किया जाता हैं और किया जाता रहेगा जिसने देश में तत्कालीन सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को ही बदलकर रख दिया था. वह था सुखदेव,राजगुरु और भगत सिंह की फांसी,जो कि उन्होंने सोच समझकर चुना था. और सच में सुखदेव की फांसी देश के लाखों युवाओं को देश हित के लिए जान देने हेतु प्रेरित किया।
सुखदेव को फांसी लाहोर षड्यंत्र के कारण दी गयी थी. जबकि भगत सिंह और राजगुरु पर अन्य मुकदमे चल रहे थे,लेकिन इनके लिए फांसी का समय एक ही निर्धारित किया गया था,इसीलिए आज तक ये 3 नाम एक साथ लिये जाते हैं.