डीएसपीएमयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों के साथ हाल ही में यूट्यूब के माध्यम से रिलीज किए गए फिल्म स्प्रिंग थंडर के प्रमोशनल एक्टिविटी के दौरान फिल्म निर्देशक श्रीराम डाल्टन ने बातचीत की। बीएचयू के छात्र के रूप में सामाजिक मुद्दों पर एक टीम बनाकर सक्रिय कार्य करते हुए उन्होंने जल, जंगल और जमीन जैसे सामाजिक और प्राकृतिक मुद्दों को अपने फिल्मों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की पृष्ठभूमि बनाई।उन्होंने विद्यार्थियों के साथ अपने विचार साझा करते हुए झारखंडी फिल्मों को देखने की बात की और बताया कि वो एक जमीन से जुडे़ व्यक्ति है और आदिवासियत को आत्मसात किया है । उन्होंने अपनी 2018 की कहानी भी बताई । उनके द्वारा किए गए पदयात्रा के बारे में बताया। फिल्मों में किस प्रकार से उनकी रुचि बढ़ी उसके बारे में बताया । उन्होंने बताया वे अपनी टीम के साथ फिल्म फेयर में पार्टिसिपेट किया था। उन्होंने शेखर कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ” बेंडिट क्वीन ” पर भी चर्चा की। उसी फिल्म के सिनिमटाग्रफर अशोक मेहता से प्रेरित होकर उन्होंने झारखंड के परिपेक्ष में फिल्मे बनानी शुरू की।
उनकी फिल्म ‘द लॉस्ट बहरूपिया’ के लिए उन्हें आर्ट एंड कल्चर केटेगरी में बेस्ट फिल्म का नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया। अपने गुरु अशोक मेहता को याद करते हुए उन्होंने अपने फिल्मी करियर के बारे में बताते हुए फिल्मों की वास्तविक सच्चाई पर बात की, उन्होंने पर्यावरणीय असंतुलन की समस्या पर गंभीर चिंता जताई। जल जंगल और जमीन को बचाने के लिए सामाजिक जागरूकता पैदा करने के लिए उन्होंने अपने फिल्मों के प्रचार-प्रसार के लिए झारखंड से लेकर मुंबई तक पदयात्रा की, उन्होंने इस पदयात्रा को ‘महाप्रकृति पर्व’ का नाम दिया।
स्प्रिंग थंडर, वसंत का वज्रपात अर्थात प्रकृति के विनाशकारी रुप के बारे में बताया। उन्होंने कहा “नेचर ने मुझे जन्म दिया ।”
इसी कारण उनका ज्यादातर ध्यान प्रकृति( पानी) के उपर था। पानी बचाने के लिए पदयात्रा की और 8 सालों से इसके ऊपर कड़ी मेहनत की उन्होनें 200 लोगों का आवाहन किया और साथ मिलकर फिल्म बनाई। “ग्लोबल फिल्ममेकर” उन्होंने कहा वो डाल्टेनगंज के ठेठ आदिवासी है तथा उनके नाम में प्रयुक्त “डाल्टन” के बारे में बताते हुए विद्यार्थियों के साथ अपने विचार साझा किए और झारखंड का अपना सिनेमा ऐप बनाने की और यह के साढ़े 3 करोड़ लोगों को से सब्सक्रिप्शन लेने की बात कही जिसमें केवल झारखंड की फिल्में होंगी ताकि पूरे विश्व भर के लोग सिनेमा से झारखंड के संस्कृति से जुड़ सके ।
इस खास बातचीत के दौरान उन्होंने छात्रों को बताया कि “21वीं सदी में विद्यार्थियों को मजबूरी में कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है, इंटरनेट के जरिए वह बहुत कुछ सीख सकते हैं और फिल्मे बनाकर इंटेरनेट के कई प्लेटफॉर्म पर रिलीज कर सकते हैं , सिनेमा, दुनिया को जानने का समझने का एक बेहतरीन माध्यम है |”
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से विभाग के शिक्षक संजय पांडे, तेज मुण्डू, अनुज कुमार, रवि प्रकाश, आशुतोष भारती, विकास चंद शर्मा, दीप्ति गौरव, नैनी मिश्रा, अंकिता कुमारी मौजूद रहे।