भारत में जब भी महिलाओं के सशक्तिकरण की बात होती है तो महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की चर्चा जरूर होती है। रानी लक्ष्मीबाई ना सिर्फ एक महान नाम है बल्कि वह एक आदर्श हैं उन सभी महिलाओं के लिए जो खुद को बहादुर मानती हैं और उनके लिए भी एक आदर्श हैं जो महिलाएं सोचती है कि वह महिलाएं हैं तो कुछ नहीं कर सकती।
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को काशी के असीघाट, वाराणसी में हुआ था। मराठी ब्राह्मण परिवार से संबंधित लक्ष्मी बाई का वास्तविक नाम मणिकर्णिका था, लेकिन सब उन्हें मनु के नाम से ही पुकारते थे. इनके पिता मोरोपंत तांबे बिठूर के पेशवा की राज सभा में काम करते थे। मणिकर्णिका की शिक्षा घर पर ही संपन्न हुई थी। तात्यां टोपे, जो पेशवा के पुत्र को प्रशिक्षण दिया करते थे, मनु के भी सलाहकार और प्रशिक्षक बने। मनु ने बचपन में ही उनसे घुड़सवारी, निशानेबाजी, आत्म-रक्षा का प्रशिक्षण ग्रहण किया था। 1842 में झांसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ विवाह करने के पश्चात मणिकर्णिका झांसी की रानी बनीं. विवाह के पश्चात उनका नाम बदलकर लक्ष्मीबाई रखा गया।
अठारह वर्ष की आयु में लक्ष्मीबाई विधवा हो गई थीं. उस समय अंग्रेजों की यह नीति थी जिस राजा का उत्तराधिकारी नहीं होगा उसके राज्य को अंग्रेजों के अधीन कर लया जाएगा। झाँसी की रानी ने अंग्रेजों की बात न मान कर संग्राम का फैसला लिया। 14 मार्च, 1857 से आठ दिन तक तोपें किले से आग उगलती रहीं. अंग्रेज सेनापति ह्यूरोज लक्ष्मीबाई की किलेबंदी देखकर दंग रह गया. रानी रणचंडी का साक्षात रूप रखे पीठ पर दत्तक पुत्र दामोदर राव को बांधे भयंकर युद्ध करती रहीं। लेकिन 18 जून को ह्यूरोज स्वयं युद्धभूमि में आ डटा। युद्ध के दौरान रानी लक्ष्मीबाई ने सोनरेखा नाले को रानी का घोड़ा पार नहीं कर सका. वहीं एक सैनिक ने पीछे से रानी पर तलवार से ऐसा जोरदार प्रहार किया कि उनके सिर का दाहिना भाग कट गया और आंख बाहर निकल आई। घायल होते हुए भी उन्होंने उस अंग्रेज सैनिक का काम तमाम कर दिया और फिर अपने प्राण त्याग दिए. 18 जून, 1857 को बाबा गंगादास की कुटिया में जहां इस वीर महारानी ने प्राणांत किया वहीं चिता बनाकर उनका अंतिम संस्कार किया गया.
रानी लक्ष्मीबाई ने कम उम्र में ही साबित कर दिया कि वह न सिर्फ बेहतरीन सेनापति हैं बल्कि कुशल प्रशासक भी हैं. वह महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने की भी पक्षधर थीं. उन्होंने अपनी सेना में महिलाओं की भर्ती की थी।