रानी लक्ष्मीबाई 1875 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता की वीरांगना थी जिन्होंने अल्पायु में ही, ब्रिटिश साम्राज्य से संग्राम किया था। रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को काशी के असीघाट में हुआ था। लक्ष्मीबाई बचपन में ही घुड़सवारी, निशानेबाजी, आत्म रक्षा का प्रशिक्षण ग्रहण कि थी। अठारह वर्ष की आयु में लक्ष्मीबाई विधवा हो गई थी। उस समय अंग्रेजो की यह नीति थी जिस राजा का उत्तराधिकारी नहीं होगा उसके राज्य को अंग्रेजो के अधीन कर लया जाएगा। झांसी की रानी ने अंग्रेजो की बात ना मानकर संग्राम का फैसला लिया।14 मार्च,1875 से आठ दिन तक tope किले आग उगलती रही , अंग्रेज सेनापति लक्ष्मीबाई की किलेबंदी देखकर दंग रह गया, रानी रणचंदा की साछत रूप रखे पीठ पर पुत्र दामोदर राव को बांधे भयंकर युद्ध करती रहीं। 21 नवंबर 1853 को उनकी मृत्यु हो गई उस समय महज 18 साल की थीं। भारत में जब भी महिलाओं के सशक्तिकरण की बात होती है। तो महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की चर्चा जरूर होती है। रानी लक्ष्मीबाई ना सिर्फ एक महान नाम है बल्कि वह एक आदर्श है। उन सभी महिलाओं के लिए जो खुद को बहादुर मानती हैं।