नवरात्रि के चौथे दिन माता के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी उस समय चारों तरफ अंधकार मौजूद था, तब देवी के इस स्वरूप द्वारा ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ। आपको बता दें कि देवी कूष्मांडा अष्टभुजा से युक्त हैं। इसलिए इन्हें देवी अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। ये भक्तों के कष्ट रोग, शोक संतापों का नाश करती हैं। मां कूष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है।