मैथिली शरण गुप्त आधुनिक हिंदी के सबसे महत्वपूर्ण कवियों में से एक थे। वह खारी बोली नामक सामान्य बोली में कविताएँ लिखने वाले पहले व्यक्ति थे। उनके समय में हिंदी भाषा की रचनाएँ और कविताएँ बहुत लोकप्रिय थीं । महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से उन्होंने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया। इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान है।