देवघर। झारखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मोड़ आने वाला है। देवघर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं 21 जून 2025 से शुरू होने जा रही हैं। इस महत्वपूर्ण जानकारी की घोषणा गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने की, और बताया कि इससे संथाल परगना के लाखों लोगों को तत्काल इलाज की सुविधा मिल सकेगी।
राष्ट्रपति का दौरा और ऐतिहासिक दीक्षांत समारोह
इस सेवा की शुरुआत से पहले भारत की राष्ट्रपति AIIMS देवघर के पहले दीक्षांत समारोह में शिरकत करेंगी। यह समारोह न केवल संस्थान के लिए बल्कि पूरे झारखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इससे एम्स देवघर को पूर्ण कार्यान्वयन की दिशा में आगे बढ़ाने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।
इंतज़ार की घड़ियां और जमीनी सच्चाई
हालांकि तारीख तय हो गई है, परंतु वर्तमान में आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। कई गंभीर मामलों में इलाज न मिलने के कारण मौतों की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।
फिलहाल OPD सेवाएं, कार्डियोलॉजी, मेडिसिन, गायनी, ऑर्थोपेडिक जैसे विभाग काम कर रहे हैं, परंतु ICU, ट्रॉमा केयर और इमरजेंसी सेवाओं का पूरा ढांचा अभी तैयार नहीं हुआ है। निर्माण कार्य, उपकरणों की स्थापना और स्टाफ की भर्ती अभी जारी है।
जनता की उम्मीदें, बढ़ती चिंता
देवघर, दुमका, गोड्डा, पाकुड़, जामताड़ा समेत पूरे क्षेत्र के लोगों की AIIMS से बेहतर इलाज की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। लंबे समय से हो रही घोषणाओं और देरी के चलते लोगों में नाराजगी भी है। अब सभी की निगाहें 21 जून पर टिकी हैं — क्या यह तारीख वाकई बदलाव लाएगी?
सिर्फ अस्पताल नहीं, बदलाव की बुनियाद
AIIMS देवघर का पूरी तरह कार्यरत होना केवल स्वास्थ्य सुविधा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य आत्मनिर्भरता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा।
यह संस्थान इलाज के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान का भी केंद्र बनेगा। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार, और स्वास्थ्य पर्यटन, होटल, परिवहन जैसे क्षेत्रों में भी विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी।
21 जून 2025 को AIIMS देवघर में जब इमरजेंसी सेवा शुरू होगी, तब यह केवल एक सेवा की शुरुआत नहीं होगी, बल्कि यह झारखंड के भविष्य की नई सुबह होगी – जहां उम्मीदें होंगी, आत्मनिर्भरता होगी, और स्वास्थ्य व्यवस्था को एक नई दिशा मिलेगी।