बंकिमचंद्र का जन्म उस काल में हुआ जब बंगला साहित्य का न कोई आदर्श था और न ही रूप या सीमा का कोई विचार। अमर गीत वंदे मातरम को लिखकर महान साहित्य रचनाकार और स्वतंत्रता सेनानी बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय उर्फ बंकिम चंद्र चटर्जी सदैव के लिए अमर हो गए। वंदे मातरम सिर्फ एक गीत या नारा ही नहीं, बल्कि आजादी की एक संपूर्ण संघर्ष गाथा है, जो 1874 से लगातार आज भी करोड़ों युवा दिलों में धड़क रही है। बंकिम चंद्र ने 1874 में देशभक्ति का भाव जगाने वाले गीत वंदे मातरम की रचना की थी। 1896 में कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक अधिवेशन हुआ था। उस अधिवेशन में पहली बार वंदे मातरम गीत गाया गया था। आजाद भारत में 24 जनवरी, 1950 को भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने वंदे मातरम को राष्ट्रगीत का दर्जा दिए जाने की घोषणा की थी।