प्रकृति पर्व सरहुल सोमवार को आदिवासी समाज के लोगों ने गिरिडीह में भी धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर बस स्टैंड के समीप स्थित जिला मांझी थान में पारंपरिक रीति-रिवाज से मांझीथान व जाहेर थान में पूजा अर्चना की गई। जिसमें गिरिडीह डीसी नमन प्रियेश लकड़ा भी शामिल हुए। संस्कृति के अनुसार सरहुल पर नए फूल-पत्ता ईष्ट देवता को चढ़ाया गया। डीसी के काफी देर तक पूजा कार्यक्रम में उपस्थित रहने से आदिवासी समाज के लोग काफी उत्साहित दिखे। इससे पूर्व जैसे ही डीसी नमन प्रियेश कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे रीति-रिवाज के साथ उनका स्वागत किया गया। इस दौरान मांझीथान के टूटे हुए चहारदीवारी की ओर समाज के लोगों ने डीसी का ध्यान आकृष्ट कराया। जिसपर डीसी ने चहारदीवारी निर्माण का आश्वासन दिया। डीसी ने सबों को सरहुल पर्व की बधाई देते हुए सरहुल पर्व की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। इसके बाद पारंपरिक लोक गीतों के साथ शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा में आदिवासी समाज की महिलाएं व युवतियां पारंपरिक लोग गीतों पर सामूहिक रुप से खूब नृत्य करती नजर आईं। शोभा यात्रा में शामिल आदिवासी समाज की महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा देखते ही बन रही थी। शोभा यात्रा में मांदर की थाप व लोकगीत से झारखंड की संस्कृति पूरी तरह से जीवंत नजर आ रही थी।शोभा यात्रा मांझीथान से निकलकर आसपास के क्षेत्र होते हुए एचई हाई स्कूल आदिवासी छात्रावास में जाकर समाप्त हुई। मौके पर आदिवासी समाज के सिकंदर हेम्ब्रम, प्रवीण मुर्मू, प्रदीप सोरने, मदन, नुनका टुड्डू, नुनूलाल किस्कू, बुधन हेम्ब्रम समेत सैकड़ो की संख्या में आदिवासी समाज के लोग मौजूद थे।
