गिरिडीह: देशभर में कोरोना काल की पाबंदियों के खत्म होने के बाद ट्रेनों का संचालन अब सामान्य हो चुका है। लेकिन गिरिडीह जिले के यात्रियों के लिए यह राहत अभी दूर की बात है। पटना और कोलकाता जैसी बड़ी जगहों के लिए गिरिडीह से सीधी रेल सेवा अब तक बहाल नहीं की गई है, जिससे आम लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
कोरोना से पहले गिरिडीह-मधुपुर पैसेंजर ट्रेन में अतिरिक्त कोच लगाकर पटना और कोलकाता तक की सीधी सेवा दी जाती थी। लेकिन यह सुविधा अब पूरी तरह से बंद है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जहां एक ओर देश के बाकी हिस्सों में रेलवे सुविधाएं सुधर रही हैं, वहीं गिरिडीह की रेल सेवाएं घटती जा रही हैं।
इस सेवा के बंद होने का सबसे ज्यादा असर उन यात्रियों पर पड़ा है जिन्हें मधुपुर, पारसनाथ या धनबाद जाकर ट्रेन पकड़नी पड़ती है। ये स्थान गिरिडीह से लगभग 50 से 60 किलोमीटर दूर हैं, जिससे न केवल अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ती है बल्कि खर्च और समय दोनों बढ़ते हैं।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई बार रेलवे से अनुरोध किया है कि पूर्व की तरह अतिरिक्त कोच जोड़े जाएं या नई सीधी ट्रेन सेवा शुरू की जाए। उनका मानना है कि यदि गिरिडीह से सीधी ट्रेन सेवा बहाल हो जाती है, तो इससे पूरे जिले को लाभ मिलेगा, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और व्यापार से जुड़े यात्रियों को।
सबसे बड़ी चिंता प्रवासी मजदूरों को लेकर जताई जा रही है। गिरिडीह के हजारों मजदूर रोज़गार की तलाश में कोलकाता और पटना जैसे शहरों में जाते हैं। इन लोगों के लिए ट्रेन ही सबसे सस्ता और सुविधाजनक साधन होता है, लेकिन ट्रेनें नहीं चलने से उनकी परेशानी चरम पर है।
अब देखना यह होगा कि रेलवे प्रशासन कब तक गिरिडीह की इस उपेक्षा को समाप्त करता है और जिले को फिर से सीधी रेल सेवा का तोहफा देता है।