कायस्थ समाज के लिए चित्रगुप्त पूजा एक विशेष अवसर है. इस दिन चित्रगुप्त महाराज के साथ नए खाताबही, कलम, दवात का पूजन करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चित्रगुप्त महाराज ब्रह्म देव की काया यानि शरीर से उत्पन्न हुए थे, इसलिए उनको कायस्थ कहा जाता है. ब्रह्म देव ने उनको सभी जीवों के कर्मों का लेखा जोखा रखने का उत्तरदायित्व दिया है. चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर उनकी आराधना करने से बुद्धि, विद्या और लेखन में महारत हासिल होती है.