पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, “परि” और “आवरण” है| जिसमें परि का मतलब ‘आसपास’ और आवरण का मतलब है ‘जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है| पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्वभर में मनाया जाता है| इस दिवस का उदेश्य वातावरण की स्थितियों पर ध्यान केन्द्रीत करने और हमारी पृथ्वी की सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करना है| हमारे पर्यावरण की स्थिति प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण दिन प्रतिदिन गिरती जा रही है|
मानव और पर्यावरण एक-दुसरे पर निर्भर होते है| मानव की बूरी आदतें जैसे- पानी दूषित करना, बर्बाद करना, वृक्षों की अत्यधिक मात्रा में कटाई करना, आदि पर्यावरण को बूरी तरह से प्रभावित करती है| जिसका नतीजा बाद में मानव को प्राकर्तिक आपदाओं का सामना करके भुगतना ही पड़ता है|
मनुष्य द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है| हर जगह घने वृक्ष काट कर बड़ी बिल्डि़गों का निर्माण करना, वाहनों का धुआं, मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक पदार्थ आदि की वजह से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण हो रहा है| जिसके कारण अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है| अत: आज हमें सबसे ज्यादा जरूरत है, प्रयावरण संकट के मुद्दे पर सभी लोगों को जागरूक करना की है |