बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है. किसी भी देश के बच्चे अगर शिक्षित और स्वस्थ होंगे तो वह देश उन्नति और प्रगति करेगा. लेकिन अगर किसी समाज में बच्चे बचपन से ही किताबों को छोड़कर मजदूरी का काम करने लगें तो देश और समाज को आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है. उसे इस सवाल का जवाब ढूंढने की ज़रूरत है कि आखिर बच्चे को कलम छोड़ कर मज़दूर क्यों बनना पड़ा? जब बच्चे से उसका बचपन, खेलकूद और शिक्षा का अधिकार छीनकर उसे मज़दूरी की भट्टी में झोंक दिया जाता है, उसे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर उसके बचपन को श्रमिक के रूप में बदल दिया जाता है तो यह बाल श्रम (Child Labour) कहलाता है. 12 जून को मनाया जाने वाला विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का उद्देश्य बाल श्रम के खिलाफ बढ़ते विश्वव्यापी आंदोलन के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना है। सामाजिक न्याय और बाल श्रम के बीच की कड़ी पर जोर देते हुए, 2023 में विश्व दिवस का नारा ‘सभी के लिए सामाजिक न्याय’ है। बाल श्रम समाप्त करें!’