अंतराष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी विश्व दिवस के अवसर पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन से संबद्ध बाल पंचायतों ने गावां प्रखण्ड अंतर्गत 19 गावों में ‘बाल चौपाल’ एवं अभ्रख क्षेत्र को बाल श्रम मुक्त करने के लिए ‘संकल्प मार्च’ का आयोजन किया।
बाल पंचायतों के नेतृत्व में आयोजित उक्त कार्यक्रमों में 19 से अधिक गावों के लगभग 1400 बच्चे, नव निर्वाचित ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षको, बाल संरक्षण समिति के लोग, युवाओ एवं महिलाओ ने भाग लिया और “ढिबरा क्षेत्र के सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं बाल श्रम मुक्त ढिबरा के लिए संयुक्त रूप से संकल्प लिया. “
संकल्प मार्च के दौरान बच्चे बुलंद आवाज में “जो बच्चों से काम कराएगा, सीधा जेल जायेगा, ‘ “बाल श्रम बंद करो, सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रबंध करो “, “बालश्रम मुक्त माइका के लिए नीति बनाया जाय” ” सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” आदि नारे लगा रहे थे। अमतरो पंचायत में आयोजित बाल चौपाल में बाल मजदूर एवं वर्तमान में 11वीं की छात्रा विनीता कुमारी ने अभ्रख खदान में बाल मजदूरी के अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि ” अभ्रख निकालते समय हाथ की अंगुलियॉं कट जाती थी फिर भी काम करना पड़ता था. दसवीं के बाद मेरी पढ़ाई भी छूट चुकी थी, लेकिन जब हमारे यहाँ बालमित्र ग्राम कार्यक्रम की शुरूआत हुई तो मेरे जैसे सैकड़ों बाल मजदूरो को स्कूल जाने का अवसर मिल सका. मै तो कहूँगी कि यदि बाल मजदूरी खत्म करनी है तो सभी गावों को बाल मित्र ग्राम बनाया जाय। इस अवसर पर पूर्व बाल मजदूर एवं बेन्ड्रो गांव के बाल पंचायत मुखिया प्रदीप कुमार ने कहा कि ” गावां के लगभग सभी गावों में हमारी बाल पंचायत बनी है. हम लोगों ने पुरे प्रखण्ड में स्कूल चलो अभियान के माध्यम से लगभग सभी बच्चों को स्कूलों में दाखिला कराया था। इस काम में शिक्षा विभाग, बाल संरक्षण समिति, ग्राम पंचायतो एवं जिला उपायुक्त का पूरा सहयोग मिला। लेकिन स्कूल बंद होते ही बच्चे अभ्रख की खदान में काम करने जाने लगे हैं .जहां कई बार हादसे भी हो जाते हैं। मेरा निवेदन हैं कि सभी माता-पिता बच्चों को काम पर जाने से रोके समाज, सरकार, प्रशासन शिक्षक, बाल संरक्षण समिति, ग्राम पंचायत सब मिलकर बाल श्रम जैसी बुराई पर रोक के लिए आगे आये. “
इस अवसर पर बाल पंचायत घोसी की उप मुखिया प्रीति कुमारी ने “बालश्रम मुक्त ढिबरा तथा इस उद्योग के नियमन हेतु नीति बनाने के लिए बाल पंचायतों की तरफ से सरकार को सुझाव भी दिया. “
कार्यक्रम की शुरुआत में केएससीएफ के कार्यकर्ता सुधीर वर्मा ने बाल श्रम विरोधी विश्व दिवस के इतिहास और महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होने बताया कि दुनिया भर में मनाये जा रहे आज के इस खास दिन का उद्देश्य है कि दुनिया भर की सरकारें, श्रम संगठन, नागरिक, समाज, मीडिया आदि सब मिलकर बाल श्रम खात्मे पर बात करें और कार्यवाही करें. नोबल शांति पुरस्कार विजेता और बाल अधिकारों के वैश्विक नेता श्री कैलाश सत्यार्थी के आवाहन पर, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 12 जून को “बाल श्रम विरोधी विश्व दिवस” मनाने की शुरुआत की थी।