गावां प्रखंड के चेरवा जोड़ासिमर गांव के शिव मंदिर पर चल रही श्री श्री 1008 शिव पार्वती प्राण प्रतिष्ठा नौ दिवसीय महायज्ञ के तीसरे दिन शिव-पार्वती की झांकी आकर्षण का केंद्र रही। कथा सुन भक्तगण भाभविभोर हो गए। कथावाचक शशिभूषण पांडेय ने शिव-पार्वती के विवाह का वर्णन किया। बताया कि जब भगवान शिव बारात कैलाश पर्वत से भूत प्रेतों के साथ माता पार्वती के गांव पहुंची। वहां भगवान शिव के गले में पड़े नाग व शरीर मे भस्म लगी देख लोग डर गए। नारद द्वारा माता पार्वती की मां को समझाने पर विवाह संपन्न हुआ।
कथा व्यास श्रीकांत पांडेय ने कहा कि जब भगवान शंकर माता सती को राम कथा सुना रहे थे, तभी आकाश मार्ग से कई देवता जा रहे थे। सती के पूछने पर भगवान शंकर ने बताया कि दक्ष प्रजापति ने घमंडवश ब्रह्मा, विष्णु व महेश का अपमान करने के लिए अपने घर महायज्ञ का आयोजन किया था। इसमें तीनों देवताओं को नहीं बुलाया गया। सती ने जब वहां जाने की इच्छा जताई तो भगवान शंकर ने बिना बुलाए जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही। इसके बाद भी सती नहीं मानी और पिता के घर चली गई। यज्ञ में भगवान शंकर, विष्णु व ब्रह्मा का अपमान देखकर हवन कुंड में कूदकर खुद को अग्नि के समर्पित कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर के दूतों ने यज्ञ स्थल को तहस-नहस कर दिया। भगवान शंकर भी शोकाकुल होकर समाधि में लीन हो गए। कथा सुनने के दौरान जयराम यादव, गुरुसहाय रविदास, अशोक मोदी, गंगा यादव, प्रसादी पंडित, बिपिन यादव, बेबी देवी, भरत यादव, कुंती देवी समेत सैकड़ो श्रद्धालुओं उपस्थित थे।