हजारीबाग के बरही निवासी रूपेश पाण्डेय हत्याकाण्ड की जाँच में ना सरकार गंभीर है और ना ही प्रशासन। स्थानीय लोगों के अनुसार, सरकार द्वारा गठित एसआईटी ही संदेहास्पद है क्योंकि गठित एसआईटी में जिला के ही अधिकारी और प्रशासन के लोग हैं जिसकी निष्क्रियता शुरुआत दिन से ही देखी जा रही है। यह बातें भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेश साव ने कही।इन्होंने कहा कि आश्चर्य इस बात का है कि उक्त घटना में दो दर्जन से ज्यादा लोग नामजद अभियुक्त हैं और गिरफ्तारी केवल 4 की हुई है। दो दिन इंटरनेट सेवा को बाधित कर अभियुक्तों को बचाने और भगाने का प्रयास किया गया है। मॉब लिंचिंग के शिकार रूपेश पाण्डेय के मामा सुरेंद्र तिवारी जी का कहना है कि पीड़ित परिवार हजारीबाग एसपी द्वारा गठित एसआईटी से खुश नही है। परिजन निष्पक्ष जाँच हेतु सीबीआई या न्यायिक जाँच की मांग कर रहे हैं।
कहा कि बीते दिनों धनबाद में विशेष समुदाय के एक मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति के साथ हुई हिंसा पर त्वरित ट्वीट कर कार्रवाई करने वाले राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उक्त घटना को मॉब लिंचिंग का संज्ञा दिया था। आश्चर्य इस बात का है कि रूपेश पाण्डेय हत्याकांड में माननीय मुख्यमंत्री की तत्परता निराशाजनक है और तुष्टिकरण की राजनीति का यह आलम है कि उन्हें यह घटना मॉब लिंचिंग नहीं लगती। शायद मुख्यमंत्री जी भूल रहे हैं कि इसी तुष्टिकरण की राजनीति की वजह सम्पूर्ण देश में कांग्रेस के समर्थकों में अप्रत्याशित गिरावट आई है। यदि तुष्टिकरण से ऊपर नहीं उठे तो वो दिन दूर नहीं जब जेएमएम की भी यही स्थिति बनेगी।
आगामी 12 फरवरी को झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री व भाजपा विधायक दल के नेता आदरणीय बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में हमलोग पीड़ित परिवार से मिलने दुलमुहा बरही जा रहे हैं।