13वीं जनजाति युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत जिले के सुदूरवर्ती गांवों के 40 जनजाति युवा देहरादून से सकुशल अपने जिले वापस लौट आए है। इसको लेकर मंगलवार को बस स्टैंड के नीचे स्थित सीआरपीएफ कैंप में एक कार्यक्रम आयोजित कर देहरादून से वापस लौटे युवाओं ने अपना अनुभव साझा किया। इस दौरान युवाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वहां की संस्कृति, रिती रिवाज, रहन सहन, खानपान, शिक्षा, खेल,तकनीकी और औद्योगिक उन्नति, समृद्ध पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत, बोल चाल को हमने बारीकी से देखकर कई तरह के ज्ञान अर्जित किए। वहां के खेती और अलग-अलग औद्योगिक विकास बहुत ही आधुनिक है। युवाओं ने कहा कि हमने वहां जाकर बहुत सारी शिक्षा ग्रहण की। अपने अनुभव को बताते हुए कहा कि देहरादून में कई ऐसी चीजों को देखने को मिला जो मेहनत और लगन से झारखंड में भी तैयार किया जा सकता है। इस बाबत सीआरपीएफ के द्वितीय कमान अधिकारी राजेश्वर सिंह यादव ने बताया कि आदिवासी समाज के युवा एक राज्य से दूसरे राज्य पहुंचकर वहां के संस्कृति रीति रिवाज को जानकर काफी प्रसन्न है। दूसरे राज्यों के परंपरा को जानकर अब यह सभी 40 युवा समाज में बदलाव करने की कोशिश करेंगे। साथ ही दूसरा बच्चों के साथ अपने अनुभव को बता कर उनमें भी अलग प्रकार की प्रेरणा जागृत करने का काम करेंगे। उन्होंने सभी युवाओं को धन्यवाद देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। मालूम हो कि 07 वी बटालियन सीआरपीएफ और नेहरू युवा केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। मौके उप कमांडेंट नवीन विश्वकर्मा, अच्छेलाल सिंह यादव, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा० रवि रंजन,नेहरू युवा केंद्र के एपीओ नैयर परवेज,निशा बरनवाल समेत अन्य लोग मौजूद थे।