बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिक्कन नामक गांव के बीच हुआ था। जिनके पिता जी का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था जो कि एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। बाल गंगाधर तिलक के बचपन का नाम केशव था। बाल गंगाधर ने लोगों के हितों के जमकर काम किया. उन्होंने विद्रोह करने के अलग अलग तरीके खोजे. एक विद्यार्थी की गलती की वजह से जब पूरी कक्षा को सजा दी रही थी तो विद्यार्थी बाल गंगाधर तिलक द्वारा सजा स्वीकार करने से इनकार करने की वजह से उन्हें विद्यालय से निकालकर प्रशासन ने असत का साथ दिया । इसी प्रकार से सत्यमार्ग की राह दिखाने वाले, सत भक्ति शिक्षा देने वाले कबीर साहेब को कई बार यातनाओं का भी सामना करना पड़ा। कबीर साहेब और गरीबदास जी महाराज की गुरु प्रणाली के तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज को तो सत्य के मार्ग को प्रशस्त करने के अपराध में दूसरी बार जेल में भेज दिया गया था। यह सत्य– असत्य के बीच की लड़ाई लंबी है । समाज प्रत्येक दिन महसूस करता है कि सत्य वादी लोगों को काल माया के लोक में प्रताड़नाओं को सहना पड़ता है । कई बार ऐसे सत्य वादियों के साथ रहने वाले उनके प्रति होने वाले असंवेदन शील व्यवहार की वजह से सत्य पथ को छोड़ने तक को तैयार हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज कबीर साहेब को उद्घृत करते हुए बताते है जिसके हृदय में सत्य है मानों साक्षात परमात्मा विधमान है।












