जमुआ में अपनी मां के शव को कांधा देने जेल से आए एक युवक के एक हाँथ में हथकड़ी थी तो दूसरे में अर्थी।यह दृश्य देखकर पूरा माहौल गमगीन हो उठा।असल में इस युवक की मां ब्लड कैंसर से जूझते हुए पटना स्थित एक हॉस्पिटल में आखरी सांस ली।महिला का एक मात्र कमाऊ पुत्र मोती कुमार साहा तीन माह से साइबर क्राइम में जेल के सलाखों के पीछे था। उसकी माँ की शव रात में जमुआ पहुँचा।लेकिन जेल में बन्द पुत्र के इन्तजार में उसके पिता मुन्ना कुमार साहा ने पत्नी के शव को पड़े रहने दिया। दूसरे दिन जेल की गाड़ी से पुलिस बल की कस्टडी में मोती कुमार साहा अपने घर पहुंचा। जेल में बन्द पुत्र को हथकड़ी के साथ देख न केवल उसके पिता बल्कि भाई एवं आसपड़ोस के लोग भी रो पड़े। मां के शव को देख मोती भी दहाड़ें मारकर रोने लगा। कई बार मूर्छित भी हुआ। इस हृदयविदारक दृश्य को देख वहां के शायद ही कोई ऐसा होगा जिसकी आंखें नम न हुई होंगी।

शवयात्रा में अर्थी के साथ रोते हुए मोती एवं उसके भाइयों को देख लोग गमगीन हो गया। एक हाँथ में हथकड़ी और दूसरे में अर्थी को देख लोग करुणा से भर गए। शवयात्रा में प्रमुख प्रतिनिधि संजीत यादव,पूर्व मुखिया महेंद्र यादव के अलावे कोलेश्वर यादव, मो फरीद आलम, रामदेव सोनी,वाजिद अंसारी,बद्री यादव अमित कुमार साहू सहित कई लोग थे। अंत्येष्टि हिन्दू रीति रिवाज के साथ वैदिक पंडितों ने करवाई।मुखाग्नि उज्ज्वल कुमार साहा ने किया।बाद में इसे फिर जेल ले जाया गया।