लालबहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे। नेहरू जी की मृत्यु हो जाने के कारण शास्त्री जी को भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था. वर्ष 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध में उन्होंने देश का नेतृत्व किया था। इन्हे 1966 में देश के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत-रत्न’ से नवाज़ा गया। शास्त्री जी एक महान स्वतंत्रता संग्रामी थे, वे महात्मा गाँधी व जवाहर लाल नेहरु के पद चिन्हों पर चलते थे।
उन्होंने देश की जनता के लिए हमेशा ही व्यापक कार्य किया है भारत-पाक युद्ध के दौरान विकट परिस्थितियों में शास्त्री जी ने सराहनीय नेतृत्व किया और “जय-जवान जय-किसान” का नारा दिया, जिससे देश में एकता आई और भारत ने पाक को हरा दिया, जिसकी कल्पना पकिस्तान ने नहीं की थी, क्योंकि तीन वर्ष पहले चीन ने भारत को युद्ध में हराया था।
शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। ताशकंद में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।