गांडेय बाजार स्थित जामा मस्जिद सहित विभिन्न क्षेत्रों में रमजान- उल- मुबारक की अलविदा जुमा की नमाज अदा की गई। नमाज- ए- अलविदा जुमा को लेकर मुस्लिम मोहल्लों में आज सुबह से ही चहल-पहल देखी गई। खास कर बच्चों में विशेष उत्साह देखा गया। छोटे-छोटे बच्चे आज नए-नए कपड़े पहन कर नमाज-ए-अलविदा जुमा अदा की। अलविदा जुमा के अवसर पर जकात व फितरा मांगने वालों की भीड़ सभी मस्जिदों के पास देखी गई।
अलविदा जुमा के अवसर पर उपस्थित नमाजियों को संबोधित करते हुए जामा मस्जिद के पेश इमाम हाफिज मोहम्मद सोहेल ने कहा कि आज हम सभी रमजान- उल- मुबारक को अलविदा कहने के लिए इकट्ठा हुए हैं। हम सभी लोगों को सिर्फ रमजान-उल- मुबारक को अलविदा कहना है न कि नमाज को। उन्होंने कहा कि जिस तरह रमजान- उल- मुबारक के दौरान लोग खुदा की इबादत करने के साथ ही नमाज अदा करते थे। उसे जारी रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हर मुसलमान को जकात व फितरा निकाल कर गरीबों में तकसीम करनी चाहिए। ताकि गरीब व असहाय लोग भी खुशी-खुशी ईद का त्योहार मना सकें। उन्होंने कहा कि जो शख्स अपने माल का जकात निकालता है। उसका माल पाक व साफ हो जाता है। साथ ही उसके माल में बरकत होती है। उन्होंने कहा कि जो रोजेदार सदका-ए- फितरा अदा नहीं करता है। उसका रोजा आसमान व जमीन के बीच लटका रहता है। उसका रोजा खुदा की राह में कबूल नहीं होती है। हाफिज सोहेल ने कहा कि रमजान- उल- मुबारक महीना के दौरान एक ऐसी रात आती है। जो हजार रातों से बेहतर है। इस रात को शब- ए- कद्र के नाम से जाना जाता है। जो हमलोगों के बीच से फिलहाल गुजर चुका है। उन्होंने कहा कि माह- ए- रमजान में ही कुरआन- ए- पाक को उतारा गया। उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में रहमतों की बारिश होती है। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। साथ ही जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं। इसके अलावा शैतान को कैद कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि रमजान का महीना खुदा का पसंदीदा व महबूब महीना है। अलविदा जुमा अदा करने के बाद अकीदतमंदों ने वतन की तरक़्क़ी,ख़ुशहाली व अपने अमलो-अमाल की सलामती की खुदा से दुआएं की।