हम एक दूसरे को समझ सकते हैं, अगर अच्छा ना लगे तो आपसी समझ से अलग भी हो सकते हैं :-भूमिका सच्चर
लिव-इन-रिलेशनशिप के प्रभाव को लेकर दूरदर्शन स्टूडियो में हुई चर्चा
रांची: रांची दूरदर्शन स्टूडियो में शुक्रवार को वरिष्ठ पत्रकार मधुकर जी के नेतृत्व में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ के संदर्भ में चर्चा की गई। इस दौरान कई अतिथि व डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे कई छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
सर्वप्रथम गायनी डॉ करुणा सहदेव अपनी बात रखते बोली भारत के संदर्भ में बात की जाए तो यह वह राष्ट्र है जो प्रारंभिक काल से ही अपनी परंपराओं और संस्कृति की मजबूती के आधार पर विश्वभर में एक पहचान बनाई है। परंतु इस आधुनिक काल में कई युवा अपने घर से बाहर रहकर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहते हैं। यह बिल्कुल गलत है क्योंकि इस दौरान मुख्य तौर पर लड़कियां प्रभावित होती है उन्हें तरह-तरह के बीमारियों से गुजरना पड़ता है जिसमें आमतौर पर एचआईवी, एड्स, सर्जिकल कैंसर जैसे बीमारी देखने को मिलती है और कई लड़कियां धुलाई भी करा लेती है जिसके वजह से वह भविष्य में मां नहीं बन पाती है और यह सबसे बड़ी और सोचने को मजबूर कर देने वाली विषय है। परंतु मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद मनोचिकित्सक भूमिका सच्चर ने बोली ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ कई बार वरदान के रूप में भी साबित हुई है। क्योंकि हम एक दूसरे के साथ रहकर जीवन यापन करते हैं और समझते भी हैं। कुछ बात ऐसी भी होती है जो हम घर में नहीं बता पाते और हम डिप्रेशन की ओर चले जाते हैं। लेकिन हम अपने पार्टनर के साथ खुशी पूर्वक साझा करते हैं और हम खुश भी रहते हैं। जब हमें लगता है कि यह हमारे काबिल नहीं है तो हम आपसी समझ से अलग भी हो सकते हैं। साथ ही इस समय अंतराल में लड़के को काफी परेशानियां भी होती है जो लिव-इन-रिलेशनशिप में आकर खुशी पूर्वक बिताते हैं और डिप्रेशन का शिकार होने से भी बच जाते हैं। इस समारोह में इस चर्चा के दौरान परिचर्चा भी रखी गई थी जिसमें डीएसपीएमयू के छात्र हिमांशु, शुभम, ईशान ने अपनी बात रखी। शिक्षाविद प्रो० डॉ एके चौधरी ने कहा हमारा समाज जो रुढ़िवादी होने के साथ-साथ परंपरावादी भी है, ऐसे किसी भी रिश्ते को जायज नहीं ठहराता जो महिला या पुरुष को शादी से पहले साथ रहने की इजाजत दें और अगर ऐसे संबंधों के प्रभावों की चर्चा की जाए तो यह साफ हो जाता है कि लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे रिश्ते खासतौर पर महिलाओं के लिए घाटे का सौदा साबित होते हैं। अंतिम में कार्यक्रम में मौजूद जज एसएस प्रसाद ने लिव-इन-रिलेशनशिप के कानून को बताया और कुछ आरुणि की कहानी, हिंदू मैरेज एक्ट, यूरोप का प्रभाव, बटन रसल, हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा लिखी गई पुस्तक प्रतिक्रिया ही जीवन की वास्तविक कसौटी है, इत्यादि से रूबरू कराया और छात्रों के द्वारा पूछे गए सवालों का सामान्य भाषा में उत्तर भी दिए। इस मौके पर डीएसपीएमयू के छात्र महिमा सिंह, हिमांशु, ईशान, विक्रम, प्रिया, सूरज, आकाश, इत्यादि मौजूद रहे। इस प्रोग्राम को डीडी झारखण्ड पर 13 मार्च को शाम 5 बजे टेलीकास्ट किया जायेगा।










